प्रदूषण और खराब लाइफस्टाइल ने बढ़ाया फेफड़े के कैंसर का खतरा: RGCIRC

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 08 Nov, 2020 03:35 PM

pollution and poor lifestyle increase risk of lung cancer rgcirc

प्रदूषण की समस्या विकराल रुप लेती जा रही है।  राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर का कहना है कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ा दिया

यूपी डेस्क: प्रदूषण की समस्या विकराल रुप लेती जा रही है।  राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर का कहना है कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ा दिया है। नवंबर को फेफड़े के कैंसर के लिए जागरूकता माह के तौर पर भी मनाया जाता है।

आरजीसीआईआरसी में थोरेसिक सर्जिकल ओंकोलॉजी के प्रमुख एवं सीनियर कंसल्टेंट डॉ. एलएम डारलॉन्ग ने कहा, ‘प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ा दिया है और अब यह केवल धूम्रपान करने वालों की बीमारी नहीं रह गई है। यहां तक कि युवा भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। दुर्भाग्य से ज्यादातर मरीजों का पता एडवांस स्टेज में चलता है। यही कारण है कि भारत में कैंसर के कारण होने वाली मौतों में फेफड़े के कैंसर की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। इससे जान गंवाने वालों की संख्या स्तन, प्रोस्टेट और कोलन कैंसर से जान गंवाने वालों की कुल संख्या से भी ज्यादा है।

जल्दी जांच की जरूरत पर डॉ. डारलॉन्ग ने कहा, 'फेफड़े के कैंसर की समय पर जांच बहुत जरूरी है। जल्दी जांच से मरीज की जान बचाना संभव हो सकता है। खांसी की समस्या अगर 3-4 हफ्ते तक ठीक नहीं हो तो जांच करा लेनी चाहिए।' उन्होंने कहा कि शुरुआती स्टेज में फेफड़े के कैंसर के लक्षणों को आमतौर पर टीबी (क्षयरोग) का लक्षण मान लिया जाता है। इस कारण से गलत इलाज में बहुत वक्त बर्बाद हो जाता है और मरीज का कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंच जाता है। खासकर धूम्रपान करने वाले लोगों को जांच जरूर करा लेनी चाहिए, क्योंकि उन्हें खतरा ज्यादा होता है।

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से फेफड़े के कैंसर के मात्र 10 प्रतिशत मरीज ही जल्दी इलाज के लिए आ पाते हैं। वहीं 60 से 70 प्रतिशत मरीजों को इलाज मिलने में देरी हो जाती है। राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस के मौके पर संस्थान के मेडिकल ओंकोलॉजी के निदेशक डॉ़ विनीत तलवार ने कहा किह कैंसर की जल्दी जांच हो जाने से इलाज आसान हो जाता है और मरीज के बचने की संभावना भी बहुत ज्यादा रहती है। पर्यावरण प्रदूषण और खराब लाइफस्टाइल कुछ ऐसे कारण हैं, जिनके चलते देश में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

 

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