Edited By Pooja Gill,Updated: 19 Feb, 2023 04:31 PM

ऑपरेशन दोस्त के दौरान एनडीआरएफ (NDRF) की तीन टीमों द्वारा तुर्किए में विनाशकारी भूकंप में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त होने के बाद एनडीआरएफ की टीमों का अपने देश भारत वापस लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है। एनडीआरएफ...
गाजियाबाद (संजय मित्तल): ऑपरेशन दोस्त के दौरान एनडीआरएफ (NDRF) की तीन टीमों द्वारा तुर्किए में विनाशकारी भूकंप में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त होने के बाद एनडीआरएफ की टीमों का अपने देश भारत वापस लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है। एनडीआरएफ की पहली टीम तुर्किए से सुबह 9:00 बजे हिंडोन एयर बेस पहुंची, जबकि दूसरी टीम तकरीबन 11:00 बजे हिंडोन एयरबेस आई। देश वापस लौटने के बाद एनडीआरएफ के जांबाज जवानों का कमला नेहरू नगर स्थित एनडीआरएफ की आठवीं बटालियन में तुर्किए से रेस्क्यू करके वापस आने पर बहुत ही धूमधाम से स्वागत किया गया।

पूरी तैयारी के साथ रवाना हुई थी रेस्क्यू टीमें
बता दें कि ऑपरेशन दोस्त के तहत एनडीआरएफ की टीमों द्वारा तकरीबन 83 शवों को निकाला गया, जबकि दो लोगों को जीवित रेस्क्यू किया गया। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एनडीआरएफ की टीमों ने 34 वर्ग साइट्स को क्लियर किया। वर्क साइट क्लियर करने का मतलब है कि इस बात का एनडीआरएफ की टीमों द्वारा क्लीयरेंस दिया गया कि संबंधित क्षेत्र में कोई जीवित या मृत मौजूद नहीं है। सभी को निकाल लिया गया है। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एनडीआरएफ की टीम ने 6 वर्षीय बैरन और 8 साल के मरय करत को जीवित रेस्क्यू किया। एनडीआरएफ की दूसरी बटालियन की टीम को लीड कर रहे रेस्क्यू कमांडेंट वी एन पराशर के मुताबिक उनकी टीम ने दो लोगों को जीवित रेस्क्यू किया और 24 शवों को मलबे से बाहर निकाला गया। तुर्कीए में ठंड अधिक थी तकरीबन 4 डिग्री टेंपरेचर था, ऐसे में पूरी तैयारी के साथ टीमें यहां से रवाना हुई थी।
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वी एन पाराशर की टीम में 50 जवान थे शामिल
तुर्कीए में रेस्क्यू करने गई एनडीआरएफ टीम को विशेष कपड़े उपलब्ध कराए गए थे, जिससे कि ठंड के मौसम में जवान आसानी से रेस्क्यू ऑपरेशन चला सकें। वी एन पाराशर सेकंड कमांडेंट, पराशर बताते हैं कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टीम ने 6 वर्षीय बैरन को जब बाहर निकाला तो बैरन अपनी मां की गोद में लिपटी हुई थी। बच्ची को जब मां की गोद से बाहर निकाला गया बच्चे की आंखें हल्की-हल्की खुलने लगी, बच्ची की मां मृत थी। बच्ची को आंखें झपकते हुए देखा तो बहुत प्रसन्नता हुई कि हम एक मासूम बच्ची का जीवन को बचाने में सफल हुए। वी एन पाराशर की टीम में कुल 50 जवान शामिल थे।

NDRF के रेस्क्यू डॉग्स ने भी निभाई अहम भूमिका
6 वर्षीय बैरन और 8 वर्षीय मरय करत की जिंदगी बचाने में एनडीआरएफ के रेस्क्यू डॉग्स ने अहम भूमिका निभाई है। डॉग हैंडलर कांस्टेबल कुंदन कुमार के मुताबिक टीम को तुर्कीए में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाते हुए दूसरा दिन था। रेस्क्यू साइट पर रेस्क्यू डॉग लेकर पहुंचे थे। स्थानीय लोगों का कहना था कि रेस्क्यू साइट पर लाइव विक्टिम होने की संभावना है। 6 मंजिला इमारत थी, जिसमें रेस्क्यू डॉग जूली को छोड़ा गया। डॉग जूली ने इमारत में लाइव विक्टिम होने के संकेत दिए। जूली द्वारा दिए गए संकेत को कंफर्म करने के लिए रेस्क्यू डॉग रोगियों को भेजा गया। रेस्क्यू डॉग रोमियो ने कंफर्म किया कि ध्वस्त इमारत में लाइव व्यक्ति मौजूद है। जिसके बाद अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई और सफल ऑपरेशन चलाकर इमारत में से 6 वर्ष की बच्ची को जीवित बाहर निकाला गया।
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टीम की परेशानी दूर करने के लिए की जाती थी मॉनिटरिंग
एनडीआरएफ की आठवीं बटालियन के कमांडेंट पीके तिवारी ने बताया कि, जो टीमें ग्राउंड पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही थी उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो, इसकी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही थी। टीमों को जो भी रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान परेशानियां होती थी वह हमारे साथ साझा करते थे और उसका तुरंत समाधान किया जाता था। एनडीआरएफ की टीमें इक्विपमेंट, राशन, कपड़े आदि साथ लेकर गई थी। जिससे कि हमारी टीम में किसी पर बोझ न बने।