Edited By Ramkesh,Updated: 13 Jul, 2023 06:52 PM

Nithari case
नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड में अभियुक्त सुरेंद्र कोली व मनिंदर सिंह पंढेर की अपील पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में फांसी की सजा के खिलाफ सुनवाई हुई। सीबीआई की ओर से सुरेंद्र कोली की अपीलों पर बहस पूरी हुई। अब 14 जुलाई को मामले की सुनवाई...
प्रयागराज: नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड में अभियुक्त सुरेंद्र कोली व मनिंदर सिंह पंढेर की अपील पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में फांसी की सजा के खिलाफ सुनवाई हुई। सीबीआई की ओर से सुरेंद्र कोली की अपीलों पर बहस पूरी हुई। अब 14 जुलाई को मामले की सुनवाई होगी। इस मामले की सुनवाई जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्र और जस्टिस एस एच ए रिजवी की खंडपीठ ने की। सी बी आई के अधिवक्ता संजय यादव व जितेंद्र प्रसाद मिश्र ने कोर्ट में कहा कि अभियुक्त ने मजिस्ट्रेट के समक्ष स्वेच्छा से अपराध कबूल किया है। सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा मामले में कबूलनामे को स्वेच्छया और संतोषजनक माना है। उन्होंने कहा कि अभियुक्त सुरेंदर कोली के पास से पीड़िता का मोबाइल फोन बरामद हुआ है। नाले में मिले पीड़िता के कंकाल अवशेष का परिवार से डी एन ए मैच कर गया है। परिस्थितियां स्वयं हत्या की गवाही दे रही हैं। उन्होंने कहा कि जांच प्रक्रिया में किसी अनियमितता के कारण उसे अपराध में संलिप्तता से राहत नहीं मिल सकेगी।
सुरेंद्र कोली ने कबूला अपना अपराध
सी बी आई की तरफ से कहा गया कि कोली के अपराध कबूल करने के बाद सोचने का पूरा समय दिया गया था। सुरेंद्र कोली ने कबूलनामा सोच समझ कर किया है। कोली की निशानदेही पर कंकाल व पीड़िता के कपड़े,चप्पल आदि सामान बरामद हुए। उन्होंने कहा कि बरामद अंग परिवार के लोगों से डी एन ए जांच में मैच कर गये हैं। एक तरफ कबूलनामा और निशानदेही पर पीड़िता के कपड़े चप्पल आदि सामान की बरामदगी है। अंगों की परिवार से डी एन ए मैच करना अपराध में लिप्त के पर्याप्त सबूत हैं। वहीं कोर्ट ने मामले में पुलिस अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामले मे तलब भी किया है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि पुलिस अधिकारियों का भ्रष्टाचार में फंसना अपराध की जांच की तकनीकी खामियां मोनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ सबूत है। उन्होंने कहा है सीबीआई की तरफ से उन्हें विधिक सहायता भी मुहैया कराई गई थी। जबकि बचाव पक्ष का कहना था कि पर्याप्त विधिक सहायता नहीं दी गई। जवाब में सी बी आई की तरफ से कहा गया कि मांगने पर विधिक सहायता उपलब्ध कराई गई थी। सी बी आई ने अभियुक्तों को प्रताड़ित नहीं किया बयान स्वेच्छा से दिया है। ऐसे कोई साक्ष्य नहीं है जिससे कहा जाय कि कबूलनामा दबाव में दिया गया है। उन्होंने कहा कि उसी कबूलनामे व निशानदेही के आधार पर साक्ष्य बरामद हुए है। जिसके आधार पर विशेष अदालत ने अपराध के लिए दोषी करार देकर सजा सुनाई है।
कई जगहों पर सीबीआई को मिले हत्या के संकेत
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने कई जगहों को सील कर सबूत तलाशें जहां से हत्या के संकेत मिले है। सीबीआई ने उसी दिशा में जांच आगे बढ़ाई गई। निशानदेही पर बरामद साक्ष्यों की कड़ियां पूरे घटनाक्रम का खुलासा करती हैं। अभियुक्त लड़कियों को गुमराह कर कोठी में लाता था और अमानवीय अपराध करता था। जिसे उसने स्वयं ही कबूल किया है। भले ही घटनाओं का कोई चश्मदीद नहीं है। फिर भी अपराध के पर्याप्त सबूत हैं। जिनके आधार पर फांसी की सजा सुनाई गई है। विशेष अदालत सीबीआई ने जघन्य अपराध का दोषी करार देते हुए केयर टेकर सुरेंद्र कोली को 16 मामले में फांसी की सजा दी है। जबकि सीबीआई कोर्ट ने मोनिंदर सिंह पंढेर को भी दो मामलों में फांसी की सजा सुनाई है। हालांकि कई केसों में विदेश में होने के कारण बरी कर दिया गया है।
क्या है निठारी कांड?
गौरतलब है कि 20 जून, 2005 को 8 साल की एक बच्ची नोएडा के निठारी इलाके से अचानक गायब हो गई थी। इसके बाद लगातार 1 साल तक करीब दर्जनभर बच्चे गायब हो गए। जिसके बाद पुलिस ने बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया। 7 मई, 2006 को जब 21 साल की एक और लड़की गायब हुई तो पुलिस को अहम सुराग उसके मोबाइल से मिला। मामले में पहली बार मनिंदर सिंह पंढेर का नाम सामने आया।निठारी कांड के 6 मामलों में कोर्ट सुरेंद्र कोली को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुना चुकी है। कोर्ट ने कोली को एक लड़की के मर्डर केस में किडनैपिंग, रेप और सबूत मिटाने का दोषी पाया था। इससे पहले के भी 5 मामले में सीबीआई कोर्ट ने कोली को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, 2015 में इलाहबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में उसकी फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया था।