AMU में मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए सीट आरक्षित करने की खबरें झूठी और भ्रामक, विश्वविद्यालय ने जारी किया बयान

Edited By Ramkesh,Updated: 12 Nov, 2024 06:50 PM

news of reservation of seats for muslim candidates in amu is false

मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) ने विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश और पदों पर भर्ती में मुस्लिम अभ्यर्थियों को धार्मिक आधार पर आरक्षण देने के दावों का खंडन करते हुए कहा है कि उसके यहां इस तरह के आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। विश्वविद्यालय ने सोमवार...

अलीगढ़ : मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) ने विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश और पदों पर भर्ती में मुस्लिम अभ्यर्थियों को धार्मिक आधार पर आरक्षण देने के दावों का खंडन करते हुए कहा है कि उसके यहां इस तरह के आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। विश्वविद्यालय ने सोमवार रात को जारी एक बयान में यह बात कही। इसके कुछ दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े कानूनी सवाल पर फैसला नई पीठ करेगी और 1967 के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता क्योंकि इसे एक केंद्रीय कानून द्वारा स्थापित किया गया है।

एएमयू के अधिकारी पिछले तीन दिनों से इन दावों का खंडन कर रहे हैं कि विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं के प्रवेश और कर्मचारियों की नियुक्ति में मुसलमानों के लिए सीट आरक्षित करने की व्यवस्था लागू की जा रही है। एएमयू के जनसंपर्क कार्यालय के प्रभारी सदस्य प्रोफेसर मोहम्मद असीम सिद्दीकी ने कहा, ‘‘अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय मुस्लिम अभ्यर्थियों को विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने या पदों पर भर्ती करने में कोई आरक्षण नहीं देता है, जैसा कि कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की सात न्यायाधीशों की पीठ के हाल के फैसले के बाद बताया गया है।

बयान में कहा गया है, ‘‘एएमयू में विश्वविद्यालय द्वारा संचालित स्कूलों से पास होने वाले छात्रों के लिए आंतरिक कोटा प्रणाली है। जब ये छात्र विश्वविद्यालय में प्रवेश चाहते हैं, तो उन्हें आंतरिक माना जाता है और उनके लिए 50 प्रतिशत सीट आरक्षित की जाती हैं, चाहे उनका धर्म या आस्था कुछ भी हो।

बयान में सिद्दीकी ने कहा, ‘‘एएमयू में मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए सीट आरक्षित करने की खबरें झूठी और भ्रामक हैं।'' अलीगढ़ जिले के खैर में नौ नवंबर को आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, ‘‘इस मामले में फैसला उच्चतम न्यायालय करेगा। लेकिन भारत के संसाधनों से पोषित और जनता के कर से संचालित यह एक ऐसा संस्थान है जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को आरक्षण नहीं देता, लेकिन मुसलमानों के लिए 50 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करता है।

योगी ने सवाल किया, ‘‘भारत का संविधान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और मंडल कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को आरक्षण की सुविधा देता है, लेकिन एएमयू में यह सुविधा क्यों नहीं मिली?'' उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘जब भारत का पैसा लगा है तो वहां भी इन्हें आरक्षण की सुविधा का लाभ मिलना चाहिए। नौकरी और प्रवेश में भी यह सुविधा मिलनी चाहिए। इसे क्यों बंद किया गया, क्योंकि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) नहीं चाहती हैं। वोट बैंक बचाने के लिए यह लोग आपकी भावना और राष्ट्रीय एकता-अखंडता तथा अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

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