निरंजनी अखाड़े में डॉक्टर-इंजीनियर और प्रोफेसर भी हैं नागा साधु, महाकुंभ के बाद जीते हैं सामान्य जीवन

Edited By Pooja Gill,Updated: 31 Dec, 2024 11:14 AM

naga sadhu is also a doctor engineer and professor

Mahakumbh 2025: सनातन धर्म के रक्षक महायोद्धा नागा संन्यासी शुभ्र वर्ण पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित हो रही सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाकर अपने समस्त पुण्य को समर्पित कर आम जनमानस को पुण्य का भागी बनाते...

Mahakumbh 2025: सनातन धर्म के रक्षक महायोद्धा नागा संन्यासी शुभ्र वर्ण पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित हो रही सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाकर अपने समस्त पुण्य को समर्पित कर आम जनमानस को पुण्य का भागी बनाते हैं। इन नागा साधुओं को देखकर आपको लगता होगा कि ये मजबूरी में साधू बन गए और ऐसे ही जीवन व्यतीत कर रहे है, लेकिन ऐसा नहीं है। इन साधूओं में डॉक्टर, इंजीनियर और प्रोफेसर भी नागा की दीक्षा लेकर जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं। ये सनातन की डोर से खिचे आए और महाकुम्भ में धुनी रमाते हैं।

जूना अखाड़े के बाद ये अखाड़ा सबसे शक्तिशाली
निरंजनी अखाड़े को 726 ईस्वी (विक्रम संवत् 960) में गुजरात के मांडवी स्थापित किया गया था। इस अखाड़े के आश्रम उज्जैन, हरिद्वार, त्रयंबकेश्वर और उदयपुर में स्थित हैं। इस अखाड़े का धर्मध्वज गेरुआ रंग का है। इस अखाड़े का पूरा नाम है श्री पंचायती तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा है। इस अखाड़े का प्रमुख आश्रम हरिद्वार के मायापुर में है। इस अखाड़े की गिनती देश के प्रमुख अखाड़ों में होती है। माना जाता है कि जूना अखाड़े के बाद सबसे शक्तिशाली अखाड़ा निरंजनी अखाड़ा है। 

अखाड़े में है पढ़े लिखे साधुओं की संख्या सबसे ज्यादा
इस अखाड़े में पढ़े लिखे साधूओं की संख्या सबसे ज्यादा है। अखाड़े के साधुओं में प्रोफेसर, डॉक्टर और प्रोफेशनल शामिल हैं। ये अखाड़ा शैव परंपरा का है। माना ये भी जाता है कि ये अखाड़ा सबसे धनी अखाड़ों में से एक है। अखाड़े की खासियत उसके पढ़े लिखे साधु है। इस अखाड़े में कुछ ऐसे साधु शामिल हैं, जिन्होंने आईआईटी से पढ़ाई की है। इस अखाड़े में राम रतन गिरि सिविल इंजिनियर और वर्तमान में अखाड़े के सचिव है। हरिद्वार और मध्य प्रदेश में धर्म की दीक्षा देते है।  डॉ. राजेश पुरी ने पीएचडी की उपाधि हासिल की है तो महंत रामानंद पुरी अधिवक्ता है। निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी बताते हैं कि शैव परंपरा के इस अखाड़े के करीब 70 फीसदी साधु-संतों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है।

सनातन धर्म की रक्षा के लिए किया अखाड़े का गठन
निरंजनी अखाड़े की हमेशा एक अलग छवि रही है। सचिव ओंकार गिरि बताते हैं कि इस अखाड़े का गठन सनातन धर्म की रक्षा के लिए किया गया था। सनातन धर्म के प्रचार के लिए अखाड़े की तरफ से वेद विद्या स्कूल-कॉलेजों की भी स्थापना भी की गई है। गुजरात के मांडवी जिले में पंचायती अखाड़ा निरंजनी का गठन हुआ। जिस समय निरंजनी अखाड़े की स्थापना की गई, उस समय सनातन धर्म पर हमले हो रहे थे। दूसरे धर्म के लोग अपने धर्म का विस्तार करने के साथ ही सनातन धर्म पर हमले कर रहे थे। पंचायती अखाड़ा निरंजनी में पंच परमेश्वर के महंत सबसे सर्वोच्च होते हैं। निरंजनी अखाड़े की सपंत्तियों में प्रयागराज और उसके आसपास के क्षेत्रों के मठ, मदिर और भूमि शामिल हैं। इन सभी सपंत्तियों की कीमत 300 करोड़ से ज्यादा बताई जाती है। अखाड़े का बड़ा कार्यालय दारागंज (प्रयागराज) में है। अखाड़े की ईष्ट देव भगवान कार्तिकेय है। 


 

Related Story

Trending Topics

IPL
Lucknow Super Giants

Royal Challengers Bengaluru

Teams will be announced at the toss

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!