Edited By Ramkesh,Updated: 03 Jan, 2025 08:02 PM
जिले की विशेष सांसद-विधायक अदालत ने वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर दंगा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, विश्व हिंदू परिषद की नेता साध्वी प्राची और डासना के महंत यति नरसिंहानंद, सपा सांसद...
मुजफ्फरनगर: जिले की विशेष सांसद-विधायक अदालत ने वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर दंगा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, विश्व हिंदू परिषद की नेता साध्वी प्राची और डासना के महंत यति नरसिंहानंद, सपा सांसद हरेंद्र मलिक और भाजपा नेताओं समेत 19 लोगों के खिलाफ आरोप तय किये हैं। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी और कहा कि अगली सुनवाई 30 जनवरी को होगी।
अभियोजन अधिकारी नीरज सिंह ने बताया कि विशेष सांसद-विधायक अदालत के न्यायाधीश देवेंद्र सिंह फौजदार ने मामले में 19 आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), 341 (किसी को गलत तरीके से रोकना) और 353 (ड्यूटी पर तैनात लोक सेवक पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के साथ-साथ आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप तय किए। सिंह ने बताया कि अगली सुनवाई 30 जनवरी को होगी। सुनवाई के दौरान सभी आरोपी अदालत में मौजूद थे।
अदालत ने जिनके खिलाफ आरोप तय किया है उनमें उप्र सरकार के व्यावसायिक शिक्षा व कौशल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल, उप्र सरकार के पूर्व मंत्री सुरेश राणा और अशोक कटारिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, विहिप नेता साध्वी प्राची, पूर्व भाजपा सांसद भारतेंदु सिंह, डासना के महंत यति नरसिंहानंद, पूर्व भाजपा विधायक अशोक कंसल व उमेश मलिक, सपा सांसद हरेंद्र मलिक और अन्य सहित कई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के खिलाफ निषेधाज्ञा उल्लंघन और सांप्रदायिक तनाव भड़काने के एक मामले में आज सभी आरोपी अदालत में मौजूद थे।
नीरज सिंह ने बताया कि 19 लोगों पर मुकदमा चल रहा है और आरोपियों पर मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित एक मामले में आरोप लगाया गया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने नगला मंडोर गांव में एक पंचायत बैठक में भाग लिया और उन्होंने हिंसा भड़काई। आरोप के मुताबिक, उन्होंने 30 अगस्त 2013 को अपने भाषणों के माध्यम से निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया। वर्ष 2013 में अगस्त और सितंबर में मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक झड़पों में 60 से अधिक लोग मारे गए और 40,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए।