प्रदेश अध्यक्षों के लिए निकाय चुनाव बने चुनौती, भाजपा, कांग्रेस, रालोद ने तैनात किए नए कमांडर

Edited By Ajay kumar,Updated: 23 Nov, 2022 06:28 PM

municipal elections become a challenge for state presidents

विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश का राजनीतिक तापमान फिर बढ़ना शुरू हो गया है। निकाय चुनाव में वर्चस्व दिखाने के लिये राजनीतिक क्षत्रपों की पैतरेबाजी शुरू हो गयी है। भाजपा, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल ने प्रदेश में अपने नए कमांडर तैनात कर दिये है।

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश का राजनीतिक तापमान फिर बढ़ना शुरू हो गया है। निकाय चुनाव में वर्चस्व दिखाने के लिये राजनीतिक क्षत्रपों की पैतरेबाजी शुरू हो गयी है। भाजपा, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल ने प्रदेश में अपने नए कमांडर तैनात कर दिये है। केवल मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने ही अपने पुराने कमांडर पर भरोसा जताया है। प्रदेश में होने वाले नगर निकाय चुनाव जहां विभिन्न दलों के इन नये कमांडरों की पहली चुनौती है तो सपा के पुराने कमांडर को भी यह साबित करना है कि प्रदेश की राजनीति में उनका रसूख अभी भी बरकरार है। वैसे सभी चुनावों की तरह सत्तारूढ़ भाजपा निकाय चुनाव की तैयारियों के मामले में फिलहाल सबसे आगे दिख रही है।

भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेन्द्र सिंह ने पदभार संभालने के बाद से ही निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर जिलों में बैठक कर कार्यकर्ताओं को जीत के मंत्र देना आरंभ कर चुके हैं। दरअसल, पिछले निकाय चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन उनके लिये बेंचमार्क है और अब उन पर इसे बेहतर करने का दारोमदार है। वैसे तो निकाय चुनाव में स्थानीय मुद्दे प्रभावी होते है लेकिन इन चुनावों की हार-जीत को योगी सरकार 2.0 के कामकाज पर प्रदेश के मतदाताओं का पहला रिमार्क माना जायेगा । इसके अलावा तो वहीं यह आगामी लोकसभा चुनाव के लिये जनता के मूड का आकलन भी माना जायेगा। ऐसे में भूपेन्द्र सिंह के सामने निकाय चुनाव एक बड़ी चुनौती है। वहीं, एक बार फिर समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने नरेश उत्तम के कंधों पर विधानसभा चुनाव में मिली पाटी की शिकस्त का हिसाब चुकाने की चुनौती है तो लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की राह प्रशस्त करना भी है।

पिछले विधानसभा चुनाव में सपा व के साथ गठबंधन कर विधानसभा की वि आठ सीट हासिल करने वाली रालोद श ने भी प्रदेश की कमान रामाशीष राय स को सौंपी है। रामाशीष राय भारतीय हस जनता पार्टी के युवा मोर्चा के प्रदेश हु अध्यक्ष भी रह चुके है। ऐसे में परि वहअपने अनुभव को वह रालोद में अमल में ला रहे है। भाजपाई रीति-नीति से पर अच्छी तरह से वाकिफ रामाशीष वर्षी= कार्यकर्ताओं को उससे निपटने के थी। तरीके भी बता रहे है और रालोद का नवंब विस्तार पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी कर रहे नर्सिंग हैं। कांग्रेस ने भी दलित कार्ड खेलते डॉक्ट हुए बसपा से आयातित पूर्व सांसद 40 बृजलाल खांबरी को प्रदेश अध्यक्ष इलाज बनाया है। निकाय चुनाव में खाबरी ही पैस से बड़े उलट-फेर की उम्मीद तो नहीं कराय है लेकिन फिर भी चुनावी प्रदर्शन में हालत पार्टी की लगातार आ रही गिरावट को उसे अ रोकने व संगठन को फिर से खड़ा आरोप करने की उम्मीद है।

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