मायावती का संगठन को नया संदेश: ‘आकाश आनंद को भी वैसे ही समर्थन दें… जैसे मुझे दिया’

Edited By Mamta Yadav,Updated: 20 Oct, 2025 03:20 PM

mayawati s new message to the organization  support akash anand the same way yo

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने रविवार को लखनऊ में देशभर के कोऑर्डिनेटरों के साथ अहम बैठक की। इस बैठक में उन्होंने संगठन की मजबूती और भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा की। खास बात यह रही कि उन्होंने पहली बार खुले मंच से अपने भतीजे आकाश...

Lucknow News: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने रविवार को लखनऊ में देशभर के कोऑर्डिनेटरों के साथ अहम बैठक की। इस बैठक में उन्होंने संगठन की मजबूती और भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा की। खास बात यह रही कि उन्होंने पहली बार खुले मंच से अपने भतीजे आकाश आनंद को लेकर भावनात्मक अपील करते हुए पार्टी नेताओं से कहा, “जैसे आपने मेरा साथ दिया है, वैसे ही आकाश आनंद का भी साथ दीजिए।” इस बयान को बसपा में नेतृत्व परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत के रूप में देखा जा रहा है। बैठक में मायावती के साथ आकाश आनंद, उनके पिता आनंद कुमार और वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा भी मंच पर मौजूद रहे। मायावती के मंच पर आते ही आकाश आनंद ने उनके पैर छूकर सम्मान जताया, जिससे बैठक का माहौल भावुक हो गया।

430 कोऑर्डिनेटरों की उपस्थिति
यह बैठक उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर देशभर के करीब 430 कोऑर्डिनेटरों की मौजूदगी में हुई, जिनमें तीन महिला प्रतिनिधि भी शामिल थीं। बैठक में संगठन को हर स्तर पर पुनः सक्रिय और मजबूत करने, कार्यकर्ताओं में जोश भरने और आने वाले चुनावों की तैयारी की रणनीति पर चर्चा की गई।

2027 विधानसभा चुनाव पर फोकस
पार्टी सूत्रों के अनुसार, मायावती का मुख्य फोकस अब 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी पर है। उन्होंने कोऑर्डिनेटरों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में पार्टी की विचारधारा और नीतियों को आम जनता तक पहुंचाएं।

हाल के आयोजनों की कड़ी
यह बैठक बसपा द्वारा हाल के दिनों में आयोजित तीसरा बड़ा कार्यक्रम था। इससे पहले 9 अक्टूबर को पार्टी संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर शक्ति प्रदर्शन किया गया था। 16 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 500 से ज्यादा नेताओं के साथ एक बैठक भी की गई थी। बसपा की इन गतिविधियों को पार्टी के संगठनात्मक पुनर्गठन और राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
 

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