Edited By Ramkesh,Updated: 18 Aug, 2023 03:07 PM

Mayawati
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने देश में नए संविधान की वकालत करने वाले पीएम मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय के लेख को लेकर सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आर्थिक सलाहकार...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने देश में नए संविधान की वकालत करने वाले पीएम मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय के लेख को लेकर सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय द्वारा अपने लेख में देश में नए संविधान की वकालत करना उनके अधिकार क्षेत्र का खुला उल्लंघन है जिसका केन्द्र सरकार को तुरन्त संज्ञान लेकर जरूर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि आगे कोई ऐसी अनर्गल बात करने का दुस्साहस न कर सके।
उन्होंने ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि देश का संविधान इसकी 140 करोड़ गरीब, पिछड़ी व उपेक्षित जनता के लिए मानवतावादी एवं समतामूलक होने की गारण्टी है, जो स्वार्थी, संकीर्ण, जातिवादी तत्वों को पसंद नहीं और वे इसको जनविरोधी व धन्नासेठ-समर्थक के रूप में बदलने की बात करते हैं, जिसका विरोध करना सबकी जिम्मेदारी।
नए संविधान को लागू करने की बात पर बढ़ा विवाद
दरअसल, पीएम मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय का 15 अगस्त को एक लेख समाचर में पत्र में आया था। उसमे उन्होंने दावा कि हमारा मौजूदा संविधान काफी हद तक 1935 के भारत सरकार अधिनियम पर आधारित है। 2002 में संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए गठित आयोग की एक रिपोर्ट आई थी, लेकिन यह आधा-अधूरा प्रयास था। कानून में सुधार के कई पहलुओं की तरह यहां और दूसरे बदलाव से काम नहीं चलेगा। लेख में आगे कहा गया है कि हमें पहले सिद्धांतों से शुरुआत करनी चाहिए जैसा कि संविधान सभा की बहस में हुआ था। 2047 के लिए भारत को किस संविधान की जरूरत है?
बिबेक देबरॉय ने विवाद पर दी सफाई
वहीं, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि 77वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रकाशित उनके कॉलम में नए संविधान पर उनके विचार "व्यक्तिगत" थे। उन्होंने कहा कि हम लोगों को एक नए संविधान को अपनाने की जरूरत है।" बिबेक देबरॉय ने लेख पर हो रही राजनीति पर कहा कि जब भी कोई कॉलम लिखता है तो यह लेखक के व्यक्तिगत विचारों को दर्शाता है, न कि उस संगठन के विचारों दर्शाता है, जिससे वह जुड़ा हुआ है।"बिबेक देबरॉय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोगों ने उनके निजी विचारों को ईएसी-पीएम का बताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब भी ईएसी-पीएम की तरफ से सार्वजनिक डोमेन में कोई विचार सामने आता है, तो वह इसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड करते हैं और अपने हैंडल से ट्वीट करते हैं।