Edited By Ramkesh,Updated: 25 Aug, 2023 01:30 PM

कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई पर रोक लगाने से उच्चतम न्यायालय ने इनकार कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने रिहाई के खिलाफ याचिका पर उत्तर...
लखनऊ/गोरखपुर: कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई पर रोक लगाने से उच्चतम न्यायालय ने इनकार कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने रिहाई के खिलाफ याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार, अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि को नोटिस जारी किया। बता दें कि मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने अमरमणि त्रिपाठी व पत्नी की रिहाई पर आपत्ति जताई जताई थी। उन्होंने कहा कि 'ये कोर्ट की अवमानना है,अमरमणि और उनकी पत्नी ने सजा ही नही पूरी की तो सजा माफ़ी किस बात की, उन्होंने इसे लेकर राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

कवयित्री मधुमिता की नौ मई 2003 को हुई थी हत्या
दरअसल, उत्तर प्रदेश शासन के कारागार प्रशासन एवं सुधार अनुभाग के विशेष सचिव मदन मोहन ने बृहस्पतिवार को राज्य की 2018 की रिहाई नीति का जिक्र करते हुए अमरमणि त्रिपाठी की समयपूर्व रिहाई संबंधी एक आदेश जारी किया। अधिकारी ने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि विभाग ने उनकी वृद्धावस्था और जेल में अच्छे आचरण का जिक्र किया।

मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने रिहाई पर बताया जान का खतरा
अमरमणि की उम्र 66 वर्ष और मधुमणि 61 वर्ष की हैं। इस समय अमरमणि और उनकी पत्नी दोनों गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में हैं। गोरखपुर के जिला जेलर एके कुशवाहा ने कहा कि अगर औपचारिकताएं पूरी हो गईं तो उन्हें शुक्रवार को रिहा किया जा सकता है। हालांकि, इस कानूनी लड़ाई में सबसे आगे रहीं मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने कहा कि उन्होंने इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है और उन्हें अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की जान को खतरा है। कवयित्री मधुमिता की नौ मई 2003 को पेपर मिल कॉलोनी, लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, घटना के वक्त वह गर्भवती थीं।
त्रिपाठी दंपति को आजीवन कारावास की हुई है सजा
अमरमणि त्रिपाठी को सितंबर 2003 में कवयित्री की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था जिनके साथ वह कथित तौर पर रिश्ते में थे। इस मामले की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को दी गयी थी। देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में मधुमिता की हत्या के लिए अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, बाद में नैनीताल उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने दंपति की सजा को बरकरार रखा था। निधि शुक्ला ने कहा, ‘‘मैंने आरटीआई (सूचना का अधिकार) के माध्यम से दस्तावेज हासिल किए हैं, जिनमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दोनों ने जेल की सजा का 62 फीसदी हिस्सा जेल से बाहर बिताया है। मैंने सभी जिम्मेदार व्यक्तियों को दस्तावेज सौंप दिए हैं और बताया कि 2012 से 2023 के बीच वे जेल में नहीं थे। लंबी लड़ाई के बाद राज्य सूचना आयोग के माध्यम से मुझे जो सरकारी दस्तावेज मिले हैं, वे इस बात की पुष्टि करते हैं।'
शुक्ला ने कहा कि समय से पहले रिहाई पाने के लिए त्रिपाठी दंपति ने अधिकारियों को गुमराह किया है और इसी आधार पर हमने दंपति की रिहाई के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी भी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के चलते इस समय बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में हैं। महराजगंज जिले की लक्ष्मीपुर (अब नौतनवा) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित अमरमणि त्रिपाठी 2001 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रह चुके हैं। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान वह समाजवादी पार्टी (सपा) में थे और फिर वह बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में चले गये।