सोशल मीडिया पर 'आपत्तिजनक' पोस्ट लाइक करना अपराध नहीं,  शेयर करना अपराध:  इलाहाबाद हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी

Edited By Ramkesh,Updated: 28 Oct, 2023 12:54 PM

liking objectionable post on social media is not a crime

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि सोशल मीडिया पर किसी ‘‘आपत्तिजनक' पोस्ट को ‘लाइक' करना कोई अपराध नहीं है, हालांकि, ऐसी सामग्री को साझा करने या दोबारा पोस्ट करने पर दंडात्मक परिणामों का सामना करना होगा। अदालत ने बुधवार को अपनी टिप्पणियों में कहा...

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि सोशल मीडिया पर किसी ‘‘आपत्तिजनक'' पोस्ट को ‘लाइक' करना कोई अपराध नहीं है, हालांकि, ऐसी सामग्री को साझा करने या दोबारा पोस्ट करने पर दंडात्मक परिणामों का सामना करना होगा। अदालत ने बुधवार को अपनी टिप्पणियों में कहा कि इस तरह के पोस्ट को साझा करना सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 67 के तहत ‘‘प्रसार'' माना जाएगा और दंडनीय होगा। न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने आगरा के मोहम्मद इमरान के खिलाफ आईटी अधिनियम की धारा 67 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की अन्य धाराओं के तहत लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।

पोस्ट को लाइक करने के आरोप में पुलिस ने मामला किया था दर्ज 
गैरकानूनी जमावड़े के लिए किसी अन्य व्यक्ति की पोस्ट को लाइक करने के कारण मोहम्मद इमरान के खिलाफ मुकदमा शुरू किया गया था। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मुझे ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली जो याचिकाकर्ता को किसी आपत्तिजनक पोस्ट से जोड़ सके, क्योंकि याचिकाकर्ता के फेसबुक और व्हाट्सएप अकाउंट पर कोई आपत्तिजनक पोस्ट उपलब्ध नहीं है। इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है।'

 आपत्तिजनक सामग्री प्रसारित करना एक अपराध: कोर्ट 
उन्होंने कहा, ‘‘आईटी अधिनियम के तहत आपत्तिजनक सामग्री प्रसारित करना एक अपराध है। वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता ने गैरकानूनी जमावड़े के लिए फरहान उस्मान की पोस्ट को लाइक किया, लेकिन किसी पोस्ट को लाइक करना पोस्ट को प्रकाशित या प्रसारित करने के बराबर नहीं होगा। इसलिए, केवल किसी पोस्ट को लाइक करने पर आईटी एक्ट की धारा 67 नहीं लगेगी।

अदालत ने कहा, ‘‘वैसे भी आईटी अधिनियम की धारा 67 आपत्तिजनक सामग्री के लिए है, न कि भड़काऊ सामग्री के लिए।'' याचिकाकर्ता मोहम्मद इमरान के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था और सोशल मीडिया पर ‘‘भड़काऊ'' संदेशों को ‘लाइक' करने के लिए उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था। आरोपों के मुताबिक संदेशों के परिणामस्वरूप बिना अनुमति के जुलूस में शामिल होने के लिए मुस्लिम समुदाय से संबंधित लगभग 600-700 व्यक्ति एकत्रित हो गए। आगरा की एक अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया था और 30 जून, 2023 को मोहम्मद इमरान के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था।

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