Edited By Mamta Yadav,Updated: 17 Jun, 2025 01:34 AM

उत्तर प्रदेश के कानपुर में बर्रा थाना क्षेत्र अंतर्गत हरदेव नगर में एक बड़ा हादसा हो गया। कानपुर विकास प्राधिकरण की लापरवाही से निर्माणाधीन 4 मंजिला इमारत का लेंटर भरभराकर ढह गया, जिसमें कई मजदूरों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है। यह हादसा उस...
Kanpur News, [प्रांजुल मिश्रा]: उत्तर प्रदेश के कानपुर में बर्रा थाना क्षेत्र अंतर्गत हरदेव नगर में एक बड़ा हादसा हो गया। कानपुर विकास प्राधिकरण की लापरवाही से निर्माणाधीन 4 मंजिला इमारत का लेंटर भरभराकर ढह गया, जिसमें कई मजदूरों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है। यह हादसा उस वक्त हुआ जब इमारत में निर्माण कार्य चल रहा था और मजदूर अंदर काम कर रहे थे। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह निर्माण कार्य पूरी तरह से मानकों के विपरीत किया जा रहा था। लोग पहले भी इस इमारत की निर्माण गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए थे। बताया गया है कि कुछ दिन पहले इस निर्माणाधीन इमारत की एक दीवार भी गिर चुकी थी, लेकिन उसके बावजूद निर्माण कार्य अनवरत जारी रहा।

अवैध निर्माण में संचालित हो रहा था स्कूल
चौंकाने वाली बात यह है कि जिस निर्माणाधीन इमारत का लेंटर गिरा, उसी के भीतर एक निजी स्कूल भी संचालित हो रहा था। इससे इस हादसे की गंभीरता और भी बढ़ जाती है। यदि यह हादसा स्कूल के संचालन के दौरान होता, तो बड़ी जनहानि की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

केडीए के जिम्मेदारों की लापरवाही उजागर
लोगों ने कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि केडीए के जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी और भ्रष्टाचार के चलते इस तरह की बहुमंजिला इमारतें आवासीय इलाकों में धड़ल्ले से बनाई जा रही हैं। क्षेत्रीय जेई रामदास और सुपरवाइजर राजेन्द्र कुमार का नाम विशेष रूप से सामने आया है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने मानकों के विपरीत हो रहे निर्माण की अनदेखी की और अवैध निर्माण को नजरअंदाज किया।

रेस्क्यू जारी
हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और फायरब्रिगेड की सहायता से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। कुछ मजदूरों को मलबे से निकाला गया है, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है। वहीं, अन्य मजदूरों की तलाश के लिए एनडीआरएफ की टीम को भी मौके पर बुलाया गया है, जो थोड़ी देर में घटनास्थल पर पहुंच कर राहत एवं बचाव कार्य में जुटेगी।
प्रशासन पर फूटा गुस्सा
घटना की खबर फैलते ही मलबे में दबे मजदूरों के परिजन घटनास्थल पर पहुंच गए। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। स्थानीय लोगों और परिजनों ने प्रशासन और केडीए के खिलाफ जमकर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि यदि समय रहते निर्माण कार्य की जांच की गई होती, तो यह हादसा टाला जा सकता था।
जांच की मांग तेज
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सिर्फ रेस्क्यू ऑपरेशन कर देने से जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती। दोषी अधिकारियों और भवन स्वामी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। क्योंकि अगर ये हादसा दिन में होता तो शायद बड़ी जनहानि भी हो सकती थी। यह हादसा एक बार फिर से शहर में हो रहे अनियंत्रित और भ्रष्टाचारपूर्ण निर्माण कार्यों की पोल खोलता है। अब देखना होगा कि केडीए इस मामले में क्या कार्रवाई करता है, और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया जाता है या नहीं।