शिक्षकों के लिए अहम खबरः हाईकोर्ट ने अलग-अलग जिलों में तैनात दंपत्तियों को दी बड़ी राहत

Edited By Ajay kumar,Updated: 26 Nov, 2022 06:20 PM

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उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तैनात पुरुष अध्यापकों को बड़ी राहत देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि विशेष परिस्थिति में पुरुष अध्यापकों को भी अंतर्जनपदीय तबादला दिया जा सकता है।

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तैनात पुरुष अध्यापकों को बड़ी राहत देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि विशेष परिस्थिति में पुरुष अध्यापकों को भी अंतर्जनपदीय तबादला दिया जा सकता है।

इसमें एक जिले में 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने की बाध्यता लागू नहीं होगी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि पति और पत्नी दोनों परिषदीय विद्यालय में अध्यापक है तो पति द्वारा अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग की जा सकती है। भले ही उसने अपनी नियुक्ति वाले जिले में 5 वर्ष का आवश्यक कार्यकाल पूरा न किया हो। उक्त आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने एक ही जिले में पति-पत्नी को नियुक्त करने की मांग लेकर संजय सिंह व आठ अन्य अध्यापकों द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

न्यायालय ने बेसिक शिक्षा के निदेशक को आदेश दिया कि एक माह के भीतर इन अध्यापकों के प्रत्यावेदन पर नए सिरे से निर्णय लिया जाए। इसके अलावा न्यायालय ने निदेशक द्वारा इन अध्यापकों की अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग रद्द करने के आदेश को भी खारिज कर दिया। याचियों के अधिवक्ता का तर्क था कि याची प्रदेश के विभिन्न जिलों में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त हैं, जबकि उनकी पत्नियां भी परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापिका हैं और वह दूसरे जिलों में नियुक्त हैं। याचियों ने अपना स्थानांतरण अपनी पत्नियों के जिले में करने की मांग में याचिका दाखिल की थी।

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