वर्षों से न्याय की प्रतीक्षा में अपने ही विभाग के जिम्मेदारों के षड्यंत्र की मार झेल रहा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, अब DM से लगाई जांच करवाने की गुहार

Edited By Mamta Yadav,Updated: 11 May, 2025 05:30 PM

for years fourth class employees have been suffering due to the conspiracy

कानपुर विकास प्राधिकरण के एक कर्मचारी को भ्रष्टाचार को खोलने के कारण योजनाबध्य तरीके से मिथ्या एवं कूट रचित दस्तावेज तैयार करके बर्खास्त कर दिया गया था और जब विजिलेंस द्वारा उनकी जांच कराई तो विजिलेंस की जांच में भी विभाग साक्ष्य देने में असमर्थ...


Kanpur News, (प्रांजुल मिश्रा): कानपुर विकास प्राधिकरण के एक कर्मचारी को भ्रष्टाचार को खोलने के कारण योजनाबध्य तरीके से मिथ्या एवं कूट रचित दस्तावेज तैयार करके बर्खास्त कर दिया गया था और जब विजिलेंस द्वारा उनकी जांच कराई तो विजिलेंस की जांच में भी विभाग साक्ष्य देने में असमर्थ रहा। साथ ही विभाग द्वारा लगाए गए सारे आरोप निराधार साबित हुए।
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कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) में कार्यरत अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले कर्मचारी राकेश रावत के साथ विभागीय स्तर पर किए गए षड्यंत्र और अन्याय का मामला लगातार गहराता जा रहा है। राकेश रावत का आरोप है कि कुछ प्रभावशाली अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उनके विरुद्ध षड्यंत्र रचा, मिथ्या दस्तावेज तैयार किए और उन्हें झूठे मामलों में फंसा कर विभाग से हटाने का प्रयास किया।
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कर्मचारी पर लगाए गए आरोप:-
218 घाटमपुर विधानसभा 2022 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के साथ प्रचार प्रसार का आरोप एवं प्रधानमंत्री आवास योजना दिलाने का प्रलोभन। जबकि जिलाधिकारी द्वारा प्रदान जन सूचना में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का कोई भी प्रत्याशी चुनाव लड़ाई में लड़ा ही नहीं... जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना दिलाने का कोई ऑडियो और वीडियो विभाग के पास उपलब्ध नहीं है।
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आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप
सतर्कता विभाग द्वारा क्लीन चिट भी दी गई उसमें सिद्ध हुआ कि शिकायतकर्ता द्वारा कोई भी शिकायती पत्र नहीं दिया गया जिसको जांच अधिकारी और अन्य लोगों की योजना में बनाया गया कूटरचित साबित हुआ।
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विभागीय मिलीभगत और जातीय भेदभाव
राकेश रावत ने दावा किया कि उनके खिलाफ यह पूरी साजिश एक सुनियोजित तरीके से रची गई, जिसमें विभाग के कई अधिकारी शामिल हैं। इन अधिकारियों ने जानबूझकर फर्जी और झूठे दस्तावेज तैयार किए, जिससे उनकी छवि को धूमिल किया जा सके और उन्हें जबरन नौकरी से हटाया जा सके। पीड़ित ने बताया कि यह मामला केवल एक प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि जातीय भेदभाव और भ्रष्टाचार का संगीन उदाहरण है, जहां एक अनुसूचित जाति के कर्मचारी को बार-बार दबाने और प्रताड़ित करने का प्रयास किया गया।
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कानूनी लड़ाई में राकेश रावत को मिली राहत
राकेश रावत का कहना है कि उन्होंने न्यायालय से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक लगातार शिकायतें दर्ज कराई हैं और अपनी बेगुनाही के पक्ष में सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं। न्यायालय और मुख्यमंत्री कार्यालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए विभाग से जांच कर स्पष्ट रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए, परंतु विभागीय अधिकारी अब तक जवाब देने में हीलाहवाली कर रहे हैं।

2022 विधानसभा चुनाव में भी झूठा आरोप
वर्ष 2022 में घाटमपुर विधानसभा चुनाव के दौरान राकेश रावत पर यह आरोप लगाया गया कि वह प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में शामिल होकर चुनावी गतिविधियों में शामिल थे। लेकिन जांच में यह पाया गया कि उनके खिलाफ न तो कोई फोटो था, न वीडियो, और न ही कोई अन्य प्रमाण जिससे यह सिद्ध हो सके कि उन्होंने चुनाव में कोई सक्रिय भागीदारी की थी। इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों ने इन झूठे आरोपों को आधार बनाकर उन्हें दोषी ठहराने की कोशिश की।

27 अनुस्मारक पत्र और निष्कर्षहीन जांच
राकेश रावत ने अब तक 27 से अधिक बार विभाग को प्रार्थना पत्र व अनुस्मारक पत्र प्रेषित किए हैं, जिसमें मोहनलाल, विजय शंकर, विवेक राजपूत व अन्य अधिकारियों द्वारा दिए गए झूठे शपथपत्रों की पुष्टि भी की गई। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि इन अधिकारियों द्वारा दिए गए कथन और शपथपत्र गलत और मनगढ़ंत हैं। इसके बावजूद केडीए के उपाध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने अब तक दोषियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की।

विशेष कार्याधिकारी सत शुक्ला पर पक्षपात के आरोप
राकेश रावत ने केडीए के विशेष कार्याधिकारी सत शुक्ला पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने न केवल पीड़ित की शिकायतों को नजरअंदाज किया, बल्कि दोषियों को संरक्षण देते हुए उनके पक्ष में कार्य किया। उन्होंने आरोप लगाया कि शुक्ला ने जानबूझकर उनके द्वारा भेजे गए पत्रों को महत्वहीन मानकर किनारे फेंक दिया और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित नहीं की।

शासन-प्रशासन और न्यायालय के आदेशों की हो रही अनदेखी
पीड़ित का कहना है कि वह हर स्तर पर अपनी बात प्रमाण सहित रख चुके हैं, परंतु सरकारी तंत्र की लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते उन्हें अब तक न्याय नहीं मिल पाया है। यहां तक कि शासन और न्यायालय से आए निर्देशों की भी अवहेलना की जा रही है, जो अपने आप में लोकतांत्रिक प्रणाली और न्याय व्यवस्था के लिए चिंता का विषय है।

दोषियों पर कठोर कार्रवाई और न्याय की बहाली
राकेश रावत ने शासन, प्रशासन और मुख्यमंत्री से मांग की है कि दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि अन्य निर्दोष कर्मचारियों को इस तरह की प्रताड़ना से बचाया जा सके। राकेश रावत ने कहा कि अगर जल्द ही इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों के विरुद्ध ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे न्याय के लिए उच्‍चतम न्यायालय तक जाने को बाध्य होंगे।

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