Edited By Mamta Yadav,Updated: 05 Apr, 2022 09:31 PM
उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पहली बार नई तकनीक (एफडीआर यानी फुल डेप्थ रिक्लेमेशन) पर आधारित 5600 किमी सड़कों का निर्माण चल रहा है। इस तकनीक से बनी सड़कें किफायती और मजबूत होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल रहेंगी।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पहली बार नई तकनीक (एफडीआर यानी फुल डेप्थ रिक्लेमेशन) पर आधारित 5600 किमी सड़कों का निर्माण चल रहा है। इस तकनीक से बनी सड़कें किफायती और मजबूत होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल रहेंगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के सचिव एनएन सिन्हा व अपर सचिव डा. आशीष कुमार गोयल ने रविवार को चित्रकूट जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत नई तकनीक एफडीआर के तहत बन रही सड़क टी-06 अरछा बरेठी कमासिन रोड का निरीक्षण किया।
बता दें कि एफडीआर तकनीक में नई गिट्टी का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि सड़क पर मौजूद पुरानी गिट्टी को सीमेंट व एडिटिव और मिट्टी से बड़ी मशीनों के द्वारा मिलाकर निर्माण किया जाता है। गौरतलब है कि पहले इसे पारंपरिक तकनीक से निर्माण किया जाना था, इसकी लंबाई 17.9 किलोमीटर व चौड़ाई तीन मीटर थी जिसको बढ़ाकर 5.5 मीटर में चौड़ीकरण व उच्चीकरण किया जाना था, जिसमें लगभग 56000 घन मीटर पत्थर की गिट्टी का उपयोग होता, किंतु इस एफडीआर तकनीक से निर्माण कराने पर 50000 घन मीटर की गिट्टी की न सिर्फ बचत होगी बल्कि सरकार का पैसा भी बचेगा।
17 करोड़ की लागत से बन रही 17.900 किमी की सड़क दो मुख्य मार्गों को जोडऩे के साथ ही 22 मजरों व आठ ग्राम पंचायतों को जोड़ रही है। सड़क का निर्णाण हो जाने से 30000 आबादी को लाभ मिलेगा। पायलट प्रोजेक्ट में प्रयागराज जिले के दो मार्ग, चित्रकूट का एक, हमीरपुर के दो, झांसी, आगरा, हाथरस व मैनपुरी जिलों का एक-एक मार्ग शामिल है।