Edited By Anil Kapoor,Updated: 18 Jul, 2025 09:04 AM

Badaun News: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के असरासी गांव में उस समय हड़कंप मच गया, जब एक खेत में धान की रोपाई के दौरान मिट्टी के नीचे से एक पुराना घड़ा निकला। गांव में यह खबर फैल गई कि शायद खेत से खजाना निकलने वाला है। देखते ही देखते खेत पर लोगों की...
Badaun News: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के असरासी गांव में उस समय हड़कंप मच गया, जब एक खेत में धान की रोपाई के दौरान मिट्टी के नीचे से एक पुराना घड़ा निकला। गांव में यह खबर फैल गई कि शायद खेत से खजाना निकलने वाला है। देखते ही देखते खेत पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। फोटो और वीडियो भी बनने लगे। लेकिन जब घड़े को बाहर निकालकर खोला गया, तो सारा रोमांच खत्म हो गया। उसमें से सिर्फ काली मिट्टी और कंकड़-पत्थर निकले।
कैसे मिला घड़ा?
मिली जानकारी के मुताबिक, बीते गुरुवार को गांव के किसान हरिओम उर्फ झब्बू अपने खेत में धान की रोपाई की तैयारी कर रहे थे। खेत में पानी भरते समय उन्हें लगा कि एक जगह पानी तेजी से जमीन में समा रहा है। शक होने पर उन्होंने वहां खुदाई शुरू की। थोड़ी गहराई पर ही मिट्टी में दबा एक पुराना घड़ा दिखाई दिया। हरिओम ने तुरंत आस-पास के किसानों को बुलाया। घड़े की खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई। भीड़ जमा हो गई लोगों को लगा कि शायद कोई खजाना मिलेगा।
खुला घड़ा, टूटी उम्मीदें
घड़े को जब मिट्टी से बाहर निकाला गया, तो वह काफी भारी लग रहा था। लोगों की उत्सुकता चरम पर थी। सब यही सोच रहे थे कि अंदर से सोना, चांदी या सिक्के निकलेंगे। लेकिन जब घड़ा खोला गया, तो उसमें सिर्फ काली मिट्टी और छोटे-छोटे कंकड़ थे। हालांकि अंदर कुछ खास नहीं मिला, लेकिन फिर भी लोग घड़े की बनावट और उसकी उम्र को देखकर हैरान थे।
एक युवक ने अपने घर रख लिया घड़ा
गांव के ही अजीत नामक युवक ने उस घड़े को अपने घर रख लिया है। उसका कहना है कि यह घड़ा बहुत पुराना और ऐतिहासिक लग रहा है। हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि यह घड़ा खेत में कैसे पहुंचा और किस दौर का है।
गांव में चल रही चर्चा
इस पूरे घटनाक्रम के बाद असरासी गांव में चर्चाओं का बाजार गर्म है। कुछ ग्रामीण इसे इतिहास से जुड़ी कोई चीज मान रहे हैं।कुछ लोग इसे सिर्फ एक पुराना मिट्टी का घड़ा बता रहे हैं। एक बुजुर्ग ग्रामीण ने बताया कि उन्होंने बचपन में सुना था कि पुराने समय में लोग कीमती सामान घड़ों में रखकर जमीन में गाड़ देते थे। फिलहाल, ना तो कोई पुरातत्व विभाग की टीम मौके पर पहुंची है, और ना ही प्रशासन की तरफ से कोई जांच शुरू हुई है।