Edited By Ajay kumar,Updated: 28 Sep, 2023 06:30 PM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक हत्यारोपी को मिली मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदलते हुए अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में पुलिसिया जांच, जिला अदालत की कार्यवाही और सरकारी अधिवक्ताओं पर तल्ख टिप्पणी की।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक हत्यारोपी को मिली मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदलते हुए अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में पुलिसिया जांच, जिला अदालत की कार्यवाही और सरकारी अधिवक्ताओं पर तल्ख टिप्पणी की।

खंडपीठ ने जांच प्रक्रिया पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि जांच आपराधिक न्यायिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण-
न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद आफताब हुसैन रिजवी की खंडपीठ ने जांच प्रक्रिया पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि जांच आपराधिक न्यायिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जांच अधिकारियों के पास उचित कानूनी ज्ञान का अभाव है। निष्पक्ष और उचित जांच सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हो गया है कि जांच एजेंसी एक अलग इकाई हो जो सक्षम, योग्य और क्षेत्र विशेष में विशेषज्ञता रखने वाले अधिकारियों से सुसज्जित हो। इसके साथ ही कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न उठाते हुए कहा कि जिला अदालत भी केवल अनुरोध पर बार-बार स्थगन आदेश देने तक सीमित है, भले ही गवाह की गवाही शुरू हो गई। हो।

कोर्ट ने अपने आदेश में सरकारी अधिवक्ताओं के रवैये पर चिंता व्यक्त की
कोर्ट ने आगे अपने आदेश में सरकारी अधिवक्ताओं के रवैये पर गहरी चिंता और दुख प्रकट करते हुए कहा कि आम तौर पर सरकारी वकील बिना तैयारी के अदालत में आते हैं और खुद को सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज बयानों तक ही सीमित रखते हैं। वे केस डायरी में उपलब्ध संपूर्ण केस सामग्री की गहन समीक्षा नहीं करते हैं। उन्हें गवाह की सही स्थिति के बारे में भी पता नहीं होता है और महत्वपूर्ण दस्तावेजों को अप्रमाणित छोड़ दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप गवाह को वापस बुलाया जाता है। और बचाव पक्ष को जिरह के लिए अतिरिक्त अवसर मिलते हैं, जिससे अंततः अभियोजन पक्ष के मामले पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।