Chaitra Navratri 2023: 15 सौ साल पुराने इस शक्तिपीठ मंदिर में श्रद्धालुओं की हर मनोकामना होती है पूरी, नवरात्रि के दिनों मे उमड़ता है भक्तों का हुजूम

Edited By Anil Kapoor,Updated: 23 Mar, 2023 01:21 PM

every wish of devotees is fulfilled in this 1500 years old shaktipeeth temple

देश की इक्यावन शक्तिपीठों में एक है प्रयागराज (Prayagraj) का कल्याणी देवी मंदिर। त्रिपुर सुन्दरी रूप में विराजमान देवी की इस महाशक्तिपीठ (Mahashaktipith) में इन दिनों आस्था का मेला (Fair of Faith) लगा हुआ है। नव दिनों तक चलने वाले महाशक्तिपीठ के...

प्रयागराज(सैय्यद रजा): देश की इक्यावन शक्तिपीठों में एक है प्रयागराज (Prayagraj) का कल्याणी देवी मंदिर। त्रिपुर सुन्दरी रूप में विराजमान देवी की इस महाशक्तिपीठ (Mahashaktipith) में इन दिनों आस्था का मेला (Fair of Faith) लगा हुआ है। नव दिनों तक चलने वाले महाशक्तिपीठ के नवरात्र (Navratri) के  मेले में सोने-चांदी के गहनों व फूलों की पंखुडियों से देवी का ऐसा भव्य व मनोहारी श्रृंगार किया गया है, जो पूरे साल में सिर्फ इसी मौके पर होता है। इस धर्मोत्सव में देवी के दर्शन-पूजन के लिए शक्ति पीठ में उमड़ा हुआ है देश के कोने-कोने से आए लाखों श्रद्धालुओं (Devotees) का सैलाब।

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चैत्र नवरात्र पर महाशक्तिपीठ कल्याणी के दरबार में उमड़ी भक्तों की भीड़
सूत्रों के मुताबिक, धर्म और आस्था के शहर, संगम नगरी प्रयागराज में चैत्र नवरात्र पर  महाशक्तिपीठ कल्याणी के दरबार में उमड़ी भक्तों की यह भीड़ मां के विराट और भव्य श्रृंगार के दर्शन के लिए उमड़ी है। हर किसी की जुबां पर बस एक ही नाम है- जयकारा माँ शेरावाली का। माँ का आशीष पाने के लिए यहां भक्तों की लम्बी कतारें लगी हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या अधिक है। श्रद्धालु हाथ जोड़कर माँ के सामने झोली फैलाए हुए हैं।  हर किसी को यकीन है की इस खास मौके पर माँ उनकी हर मुराद अवश्य पूरी करेंगी। मंदिर परिसर में ही एक कुंड भी है जिसकी मान्यता ये है कि जो भी श्रद्धालु इस मनोकामना कुंड में मातारानी से सच्चे ह्रदय से मांगता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। इस कुंड में मान्यता पूरी होने के लिए श्रद्धालु धागा बांधते हैं और मनोकामना पूरी होने के बाद उस धागे को खोल देते है। इस मंदिर में हर रोज भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

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तकरीबन 1500  साल पुरानी है महाशक्तिपीठ में स्थापित अष्टधातुओं से बनी माँ कि मूर्ति
बताया जाता है कि पुराणों और धर्मशास्त्रों में  इस बात का उल्लेख है कि सृष्टि कल्याण के देवता भगवान् शिव की अर्धांगिनी सती की उंगली का एक हिस्सा तीर्थराज में इसी जगह गिरा था। जिसके चलते कल्याणी देवी को महाशक्ति पीठ का दर्जा हासिल है। इस शक्तिपीठ में त्रिपुर सुन्दरी रूप में विराजमान माँ को राज राजेश्वरी स्वरुप में पूजा जाता है। महाशक्तिपीठ में स्थापित अष्टधातुओं से बनी माँ कि मूर्ति तकरीबन 1500  साल पुरानी है। शहर के सबसे पुराने मोहल्ले कल्याणी देवी में स्थित इस महाशक्तिपीठ मे नवरात्र के अवसर पर शक्तिपीठ के आस-पास भक्ति का भावपूर्ण माहौल रहता है। माँ का भव्य श्रृंगार करने के लिए दूर-दूर से श्रृंगारी आते हैं और फिर मूल्यवान वस्तुओं और फूलों की पंखुडियों के साथ ही सोने-चांदी के गहनों से अलग-अलग रूपों में माँ का मनोहारी श्रृंगार करते हैं। माँ का यह मनोहारी और अद्भुत श्रृंगार पूरे साल में सिर्फ इसी मौके पर किया जाता है। इस दौरान आरती व दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं में होड़ सी मची रहती है।

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