संगम पर मकर संक्रांति के स्नान के लिए उमड़ा भक्तों का सैलाब, पुण्यकाल की मान्यता रखने वाले रविवार को लगाएंगे डुबकी

Edited By Pooja Gill,Updated: 14 Jan, 2023 12:00 PM

devotees throng sangam for makar sankranti bath

Makar Sankranti 2023: देशभर में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व देशभर में विभिन्न तरीके से मनाया जाता है। साल का पहला पर्व के रूप में मकर संक्रांति होती है। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर...

Makar Sankranti 2023: देशभर में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व देशभर में विभिन्न तरीके से मनाया जाता है। साल का पहला पर्व के रूप में मकर संक्रांति होती है। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो मकर संक्रांति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन स्नान के साथ दान करना काफी शुभ माना जाता है। इसलिए संगम पर मकर संक्रांति स्नान की तैयारियों को बीते कल देर शाम अंतिम रूप दे दिया गया। सूर्य के उत्तरायण (uttarayan) होने पर देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 15 घाटों पर डुबकी लगाने की व्यवस्था की गई है। इस बार भी मकर संक्रांति की डुबकी दो दिन लगेगी। शनिवार की रात सूर्य उत्तरायण हो रहे हैं, स्नान सुबह से ही शुरू हो जाएंगा।

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बता दें कि आज यानी शनिवार की रात 8:44 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही खरमास उतर जाएगा। उदया तिथि की मान्यता के क्रम में पुण्यकाल रविवार की सुबह से शाम तक रहेगा, लेकिन संगम पर डुबकी शनिवार को ही लगने लगेगी। सूर्य के उत्तरायण होने से पहले मकर संक्रांति स्नान के लिए श्रद्धालुओं का रेला शिविरों में पहुंचने लगा है।

यह भी पढ़ेंः Makar Sankranti 2023: 15 जनवरी को मकर संक्रांति, जानिए, स्नान-दान का मुहूर्त और पूजा विधि

इस मेले में स्नान के लिए देश के कोने-कोने से संतों-भक्तों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है। शुक्रवार को दिन भर पांटून पुलों से कल्पवासियों के वाहन फूस, अलाव की लकड़ी और गृहस्थी के सामानों के साथ उतरते रहे। देर रात कर संतों, तीर्थपुरोहितों के शिविरों में हजारों कल्पवासियों ने डेरा डाल दिया, लेकिन, पुण्यकाल की मान्यता रखने वाले रविवार को संक्रांति की डुबकी लगाएंगे।

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प्रशासन ने दिया मेले की अंतिम तैयारियों
मकर संक्रांति के पूर्व के लिए मेला प्रशासन पहले से तैयारियों में जुटा हुआ था। जिसे अब प्रशासन ने अंतिम रूप दे दिया है। संगम से लेकर ओल्ड जीटी के बीच गंगा के दोनों तटों पर 15 स्नान घाटों पर मकर संक्रांति पर्व पर स्नान होगा। वाहनों के लिए आठ पार्किंग स्थल बनाए गए हैं। 5 सेक्टर में बसे इस मेले में 32 सौ आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व की संस्थाओं के शिविर लगाए गए हैं।

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मकर संक्रांति का स्नान कोविड प्रोटोकॉल के बीच होगा। सभी 17 प्रवेश द्वारों और पार्किंग स्थलों पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई है। प्रत्येक सेक्टर में सर्विलांस टीमें भी रहेंगी, जो मेले में आने वाले श्रद्धालुओं कल्पवासियों की आरटीपीसीआर जांच करेंगी। संतों-भक्तों से मास्क के इस्तेमाल के लिए भी कहा गया है। इसके अलावा कोविड-19 के टीकाकरण और सैंपलिंग के लिए भी केंद्र बनाए गए हैं। मेले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए है। 

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