रामपुर गुरुद्वारे में करोड़ों के चढ़ावे की बंदरबांट: 13 माह से हड़पे जा रहे थे करोड़ों, CM योगी के आदेश पर जांच शुरू

Edited By Ramkesh,Updated: 13 Jul, 2025 06:37 PM

crores of offerings were distributed in rampur gurudwara

उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में स्थित बाबा दीप सिंह गुरुद्वारा, पसियापुर में कथित तौर पर करोड़ों रुपये की दानराशि के गबन का मामला सामने आया है। सिख समाज के अनुसार, एक वर्ष से अधिक समय तक गुरुद्वारे के दानपात्र में आए करोड़ों रुपये की कथित तौर पर...

रामपुर (रवि शंकर): उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में स्थित बाबा दीप सिंह गुरुद्वारा, पसियापुर में कथित तौर पर करोड़ों रुपये की दानराशि के गबन का मामला सामने आया है। सिख समाज के अनुसार, एक वर्ष से अधिक समय तक गुरुद्वारे के दानपात्र में आए करोड़ों रुपये की कथित तौर पर बंदरबांट की गई। हैरानी की बात यह है कि इस आरोप में सफेदपोश नेता, अधिकारी और स्थानीय प्रभावशाली लोग भी शामिल बताए जा रहे हैं।

गुरुद्वारा कमेटी के सदस्यों ने कई बार प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और यहां तक कि मंत्री बलदेव सिंह औलख से शिकायत की, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। अंततः गुरुद्वारा कमेटी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर न्याय की गुहार लगाई। मुख्यमंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कमिश्नर मुरादाबाद अंजनेय कुमार सिंह को जांच का आदेश दिया। जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद गुरुद्वारे का प्रबंधन दोबारा कमेटी को सौंपा गया।

11 महीने में जमा हुए थे ढाई करोड़, 13 महीने का नहीं कोई हिसाब
पूर्व डीएम रविंद्र कुमार मानदंड के कार्यकाल में बनी निगरानी समिति के दौरान केवल 11 महीनों में गुरुद्वारे के खाते में ₹2.5 करोड़ की राशि जमा हुई थी। लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद, 13 महीनों तक न तो कोई लेखा-जोखा सामने आया, न ही बैंक खाते में पैसे जमा हुए। आरोप है कि इस दौरान करीब ₹3.5 करोड़ की राशि का गबन किया गया। गुरुद्वारा कमेटी का दावा है कि तत्कालीन कार्यकर्ता देवेंद्र सिंह फौजी और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से यह हेराफेरी की गई। आरोप यह भी है कि स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से मामले को दबाने की कोशिश हुई।

56 नंबर गुरुद्वारे को लेकर चल रहा था विवाद
गुरुद्वारा कमेटी के सदस्य सरदार दलबारा सिंह ने बताया कि कुछ लोगों ने गुरुद्वारा संख्या 56 की जमीन पर कब्जे की कोशिश की और इसे संख्या 57 बताकर विवाद खड़ा किया। लेकिन कोर्ट से लेकर कमिश्नर की जांच रिपोर्ट तक में स्पष्ट हो चुका है कि गुरुद्वारा 56 नंबर पर ही स्थित है। उन्होंने कहा कि “हमने सभी दस्तावेज प्रशासन को सौंपे, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। उल्टा हम पर गुरुद्वारे से हटने का दबाव बनाया जा रहा है।”

प्रशासनिक निष्क्रियता पर उठे सवाल
दूसरे सदस्य सरदार बाजवा सिंह ने कहा कि गुरुद्वारे में अप्वॉइंट किए गए मुख्य सेवादार को पहले कमेटी ने नियुक्त किया था, लेकिन जब उसने कमेटी से अलग होकर विवाद पैदा किया, तो उसे सेवा मुक्त कर दिया गया। प्रशासन ने उच्च न्यायालय के आदेशों की अनदेखी कर कमेटी को दरकिनार करने का प्रयास किया। कमेटी का कहना है कि रामपुर प्रशासन से उन्हें अब कोई उम्मीद नहीं बची है, इसलिए उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री से शिकायत की, जिसके बाद ही कमिश्नर स्तर पर जांच हुई और सच्चाई सामने आई।

स्थानीय विधायक पर भी लगे लापरवाही के आरोप
इस पूरे मामले में रामपुर जिले के बिलासपुर क्षेत्र के भाजपा विधायक और मंत्री बलदेव सिंह औलख पर भी निष्क्रियता के आरोप लगाए गए हैं। सिख समाज का कहना है कि उन्होंने बार-बार उनसे मुलाकात की लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

अब भी दबाव का सामना कर रही है गुरुद्वारा कमेटी
हालांकि जांच के बाद गुरुद्वारे का नियंत्रण दोबारा कमेटी को सौंपा गया है और अरदास, कीर्तन व लंगर पुनः शुरू हो गया है, लेकिन कमेटी के सदस्यों का कहना है कि उन्हें अभी भी स्थानीय प्रशासन की ओर से दबाव का सामना करना पड़ रहा है।

 

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