Edited By Ramkesh,Updated: 13 Mar, 2025 02:41 PM

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकार ने पिछले आठ वर्षों में 210 करोड़ पौधे लगाए हैं, जिससे तेजी से होते शहरीकरण तथा औद्योगिक विकास के बावजूद वन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। गोरखपुर में राष्ट्रीय...
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकार ने पिछले आठ वर्षों में 210 करोड़ पौधे लगाए हैं, जिससे तेजी से होते शहरीकरण तथा औद्योगिक विकास के बावजूद वन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। गोरखपुर में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम पर राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने इन पेड़ों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने पौधारोपण की तीसरे पक्ष से निगरानी के लिए देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान और छत्तीसगढ़ के एक विश्वविद्यालय के साथ हाथ मिलाया है जो समय-समय पर पौधों के जीवित रहने की दर का आकलन करते हैं और अपने निष्कर्षों की रिपोर्ट राज्य सरकार को देते हैं।
आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘पिछले आठ वर्षों में पूरे राज्य में 210 करोड़ पौधे रोपे गए हैं और उनका अस्तित्व भी सुनिश्चित किया गया है।'' मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी विभागों द्वारा रोपे गए पौधों में से लगभग 70-75 प्रतिशत, जबकि निजी और स्वैच्छिक संगठनों द्वारा रोपे गए पौधों में से 65-70 प्रतिशत जीवित बच गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘देशभर के राज्यों ने पौधारोपण के प्रयास किए हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश ने इस अवधि के दौरान अपने वन क्षेत्र को बढ़ाने में उल्लेखनीय प्रगति की है।'
उन्होंने बताया कि तेजी से बढ़ती जनसंख्या, नई औद्योगिक परियोजनाओं और बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विकास वाले राज्य में यह प्रगति हासिल करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करने के लिए ऐसे प्रयास जारी रहने चाहिए। आदित्यनाथ ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण और धुंध पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि बढ़ते प्रदूषण स्तर के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए?
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई उज्ज्वला योजना के कारण वायु गुणवत्ता में कुछ हद तक सुधार हुआ है। इस योजना के तहत 10 करोड़ परिवारों को मुफ्त एलपीजी सिलेंडर प्रदान किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि, कई लोग अभी भी लकड़ी और कोयला जलाते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता खराब हो रही है। लोगों से स्वच्छ ईंधन अपनाने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जब धुआं निकलता है, खास तौर पर कोयले या लकड़ी जलाने से तो स्रोत के सबसे करीब रहने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य, खास तौर पर उनके फेफड़ों और आंखों पर पड़ता है।'' उन्होंने वायु प्रदूषण से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने के लिए अधिक जागरुकता और सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया।