Edited By Pooja Gill,Updated: 03 Sep, 2025 04:24 PM

वाराणसी: श्रीरामचरित मानस के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ अदालत के आदेश पर वाराणसी के कैंट थाने में मुकदमा...
वाराणसी: श्रीरामचरित मानस के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ अदालत के आदेश पर वाराणसी के कैंट थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। अदालत के आदेश पर मौर्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 (किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से किसी पूजा स्थल या पवित्र वस्तु को नुकसान पहुंचाना, किसी की धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर ठेस पहुंचाना), 504 (जानबूझकर अपमान करना और उकसाना), 505(2) (धर्म, जाति, या समुदाय जैसे विभिन्न आधारों पर विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता, घृणा या दुर्भावना उत्पन्न करना) और 153(ए) (धर्म, जाति, भाषा, जन्मस्थान, या निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता, घृणा, या वैमनस्य को बढ़ावा देना) के तहत मंगलवार की शाम मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
मौर्य ने की थी आपत्तिजनक टिप्पणी
याचिकाकर्ता अधिवक्ता अशोक कुमार ने बताया कि मौर्य ने 22 जनवरी 2023 को एक न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में गोस्वामी तुलसीदास और रामचरित मानस को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। मौर्य ने कहा था कि करोड़ो लोग श्रीरामचरित मानस को नहीं पढ़ते हैं और तुलसीदास ने रामचरित मानस को अपनी खुशी के लिए लिखा है। कुमार ने बताया कि मौर्य ने रामचरित मानस के कुछ अंशों को आपत्तिजनक बताते हुए कहा था कि सरकार को चाहिए कि वह उन अंशों को हटाये अथवा इस पूरी पुस्तक को प्रतिबंधित कर दें।
मौर्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के लिए दाखिल की थी याचिका
कुमार के अनुसार, इस मामले को लेकर उन्होंने मौर्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के लिए याचिका दाखिल की थी, जिसे अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने निरस्त कर दिया था। इसके बाद उन्होंने निगरानी याचिका दाखिल की, जिसपर सुनवाई करते हुए अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीरज कुमार ने मामले की सुनवाई के बाद विगत सात अगस्त को वाराणसी के कैंट थानाध्यक्ष को सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आवश्यक विधिक कार्यवाही करने का निर्देश दिया था।