इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षा अनुदेशकों को दिया बड़ा झटका: एक साल का ही मिलेगा 17 हजार मानदेय

Edited By Ajay kumar,Updated: 03 Dec, 2022 05:46 PM

allahabad high court gave a big blow to the education instructors

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों को 17000 मानदेय देने को लेकर राज्य सरकार की स्पेशल अपील पर फैसला सुनाते हुए अनुदेशकों को केवल एक साल सत्र 2017-2018 के लिए 17000 रुपये मानदेय दिए जाने का आदेश दिया है।

प्रयागराज:  इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों को 17000 मानदेय देने को लेकर राज्य सरकार की स्पेशल अपील पर फैसला सुनाते हुए अनुदेशकों को केवल एक साल सत्र 2017-2018 के लिए 17000 रुपये मानदेय दिए जाने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने ये फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति राजेश चौहान की एकलपीठ ने 3 जुलाई 2019 को अनुदेशकों को 17000 रुपये मानदेय देने का आदेश दिया था।

इस फैसले को राज्य सरकार ने चुनौती दी थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने 8 सितंबर 2022 को फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड से अनुदेशकों की नियुक्ति एक साल की होती है, इसलिए इन्हें एक साल का ही 17000 मानदेय मिलना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने याचियों को अलग से याचिका दाखिल करने की छूट दी है। अनुदेशकों के मानदेय को लेकर राज्य सरकार को भी आगे निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के उच्च प्राथमिक ज विद्यालयों में कार्यरत लगभग 27 म हजार अनुदेशकों का मानदेय 2017 सि में केंद्र सरकार ने बढ़ाकर 17000 रुपये कर दिया था, जिसको यूपी नि सरकार ने लागू नहीं किया था। इसी मानदेय को बढ़ाने की मांग को लेकर अनुदेशकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने अनुदेशकों को 2017 से 17000 मानदेय 9 प्रतिशत व्याज के साथ देने का आदेश दिया था। याची विवेक सिंह, आशुतोष शुक्ला और भोला नाथ पांडेय की ओर से याचिका दाखिल की गई थी।

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