Edited By Ramkesh,Updated: 21 Apr, 2025 07:41 PM

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने सोमवार को कहा कि बार-बार चुनाव होना देश के लिए एक बड़ी समस्या, एक बड़ा मुद्दा है और विगत 30 वर्ष में भारत में एक भी साल ऐसा नहीं गया जब चुनाव न हुआ हो। बंसल सोमवार को छत्रपति शाहू जी...
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने सोमवार को कहा कि बार-बार चुनाव होना देश के लिए एक बड़ी समस्या, एक बड़ा मुद्दा है और विगत 30 वर्ष में भारत में एक भी साल ऐसा नहीं गया जब चुनाव न हुआ हो। बंसल सोमवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के सभागार में “एक राष्ट्र-एक चुनाव” विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा “बार-बार चुनाव होना देश के लिए एक बड़ी समस्या, एक बड़ा मुद्दा बना है। विगत 30 वर्ष में भारत में एक भी साल ऐसा नहीं गया जब चुनाव न हुआ हो।
भविष्य में देश की राजनीति बदलेगी
यानी लगातार 30 वर्षों से भारत में कहीं ना कहीं चुनाव होते रहते हैं।” संगोष्ठी में युवाओं और छात्रों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि “जब भी देश में कहीं कोई नया परिवर्तन होता है तो उसमें छात्रों, युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।” बंसल ने कहा कि “देश और दुनिया के इतिहास को देखें तो हमेशा परिवर्तन की शुरुआत युवाओं और छात्रों ने की है। मेरा मानना है कि भविष्य में देश की राजनीति बदलेगी और उसकी भी शुरुआत आने वाले दिनों में युवा और छात्र ही करने वाले हैं।
आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया
भाजपा महासचिव ने “एक राष्ट्र-एक चुनाव” की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि देश की आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और जहां लोकतंत्र है वहां चुनाव एक अनिवार्य हिस्सा है। ‘‘लोकतंत्र है तो चुनाव होगा।'' बंसल ने कहा कि अगर निष्पक्ष चुनाव नहीं होंगे तो देश में लंबे समय तक लोकतंत्र नहीं चल सकता। उन्होंने कहा “लोकतंत्र के साथ चुनाव अनिवार्य है और चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से हो, यह भी उसके लिए आवश्यक है। लेकिन आजादी के बाद से अब तक लगातार एक के बाद एक चुनाव कराते रहना एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है।
एक राष्ट्र-एक चुनाव पर की चर्चा
उन्होंने कहा कि देश के पहले आम चुनाव में 17 करोड़ 32 लाख मतदाता थे, लेकिन 2024 में जो चुनाव हुआ उसमें 96 करोड़ से ज्यादा मतदाता हो गए। उन्होंने कहा “बढ़ती हुई आबादी, बदलती हुई दुनिया, देश के 140 करोड़ लोगों की जनआकांक्षाएं... इन सबको ध्यान में रखकर देश में समय-समय पर बहुत सारे बदलाव हुए। खुशी की बात है कि बदलाव के क्रम में इस देश में फिर से (एक राष्ट्र-एक चुनाव की) चर्चा शुरू हुई है। देश में एक नई बहस शुरू हुई है कि क्या एक साथ सभी चुनाव करा कर समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
दुनिया बदल रही है तो हम पुरानी व्यवस्था से नहीं चल सकते
बंसल ने कहा कि दुनिया बदल रही है तो हम पुरानी व्यवस्था से नहीं चल सकते। उन्होंने कहा कि बदलती दुनिया और देश की आवश्यकता के अनुसार हमने कानून में भी बदलाव किया। उन्होंने कहा कि हमने देश की आवश्यकता के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था को बदला है, चुनाव की व्यवस्था को बदला है। उन्होंने कहा “आज से कुछ साल पहले वाले मतपत्र से मतदान होता था लेकिन अब ईवीएम है। 18 वर्ष के युवा को मताधिकार का अधिकार मिल गया। इसलिए दुनिया की चुनौतियों के अनुरूप बदलाव जरूरी है।