विदेश की नौकरी छोड़ स्वदेश लौटे कृषि वैज्ञानिक राहुल ने बदली किसानों की किस्मत, सिखा रहे आलू की आधुनिक खेती

Edited By Umakant yadav,Updated: 11 Oct, 2021 01:55 PM

भले ही कोई भी व्यक्ति कमाने के लिए अपने देश से बाहर चला जाए, लेकिन देश की मिट्टी की खूशबू ही ऐसी है कि वह शख्स अपने वतन से ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकता और अपने वतन की ओर वापस खींचा चला आता है। ऐसा ही एक मामला यूपी के फर्रूखाबाद से सामने आया है।

फर्रूखाबाद: भले ही कोई भी व्यक्ति कमाने के लिए अपने देश से बाहर चला जाए, लेकिन देश की मिट्टी की खूशबू ही ऐसी है कि वह शख्स अपने वतन से ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकता और अपने वतन की ओर वापस खींचा चला आता है। ऐसा ही एक मामला यूपी के फर्रूखाबाद से सामने आया है। जहां कृषि विज्ञान की पढ़ाई कर विदेश में बसे किसान के  वैज्ञानिक बेटे ने आखिर अपनों की चाहत में अपने देश का रुख किया और एक छोटे से गांव में रहकर किसानों को खेती का प्रशिक्षण देकर किसानों के चेहरे पर खुशी ला दी है। वह फर्रुखाबाद, कन्नौज समेत आसपास के कई जिलों में उन्नत बीजों के इस्तेमाल से आलू की पैदावार को दोगुना कर किसानों की आय भी दोगुनी कर दी है।

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बता दें कि फर्रुखाबाद निवासी किसान के बेटे राहुल पॉल ने कृषि विज्ञान की पढ़ाई कर ईस्ट अफ्रीका में कृषि वैज्ञानिक की नौकरी कर रहे थे।लेकिन जब उनको ख्याल आया कि हम अपने ही देश में रह कर किसानों को प्रशिक्षण देकर किसानों को लाभ दें। आखिर वह अपने गांव लौट आए और गांव में गंगा किनारे बसे छोटे से गांव सिंगी रामपुर में प्रयोगशाला खोल कर किसानों को उन्नत खेती का प्रशिक्षण देने लगे व टिशू कल्चर बेस बीज का उत्पादन कर किसानों को बीज उपलब्ध कराने लगे। आस पास के लगभग दो हज़ार से अधिक किसान उनसे जुड़ कर लाभान्वित हो रहे हैं। टिशू कल्चर बेस बीज व जैविक खेती से वह आलू, केला,सहित सब्ज़ी व फलों की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। वहीं चंदन की भी कई प्रजातियों के पेड़ों की खेती का प्रशिक्षण दे रहे है।

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प्रशिक्षण पाकर किसानो की उपज भी काफी बढ़ गयी है। उनके इस प्रयास से क्षेत्र के किसान उन्नति खेती के तौर तरीके भी सीख रहे है वहीं किसानों को खेती अब लाभ का सौदा भी लगने लगी है। फिलहाल युवा वैज्ञानिक के क्षेत्र में वापस आने से इलाके के किसान खुश है कि अब खेती एक घाटे का सौदा न रह कर फायदे का सौदा भी नज़र आने लगी है।

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कृषि वैज्ञानिक राहुल ने बताया कि प्रशिक्षण पाकर किसानों की उपज काफी बढ़ गयी है। राहुल पाल का दावा है कि आमतौर पर किसान एक बीघे खेत में 40 पैकेट आलू का उत्पादन करता है, जबकि उनके तैयार किए हुए वायरस रहित बीज से 80 से 90 पैकेट प्रति बीघा आलू पैदा होता है। गौरतलब है कि कृषि वैज्ञानिक राहुल पाल ने बीज अनुसंधान में महारत हासिल की और अपना टिशू कल्चर लैब लगाने की ठान ली। इसके लिए विदेश की नौकरी एक साल बाद ही ठुकरा दी और साल 2015 में वे अफ्रीका से नौकरी छोड़कर गांव आ गए और अपनी टिशू कल्चर लैब खोल दी। 800 वर्ग मीटर में पॉली हाउस, 1500 वर्ग मीटर में इनसेट नेट हाउस खोला और इसके बाद आलू बीज तैयार करना शुरू कर दिया। जिससे किसानों को काफी फायदा मिल रहा है।

 

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