Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 09 Sep, 2019 06:05 PM
मैनपुरी में एक ऐसा गांव है, जहां मुर्दों के साथ इंसान रहते हैं। मुर्दों के साथ रहना इन लोगों का शौक नहीं बल्कि मजबूरी है। जिसे शासन, प्रशासन और यहां की सरकार ने समझना और उनकी मजबूरी को सुलझाना उचित नहीं समझा...
मैनपुरीः मैनपुरी में एक ऐसा गांव है, जहां मुर्दों के साथ इंसान रहते हैं। मुर्दों के साथ रहना इन लोगों का शौक नहीं बल्कि मजबूरी है। जिसे शासन, प्रशासन और यहां की सरकार ने समझना और उनकी मजबूरी को सुलझाना उचित नहीं समझा।
यह दर्द भरी दास्तां मैनपुरी की करहल तहसील क्षेत्र में लगने वाले ग्राम मोहब्बतपुर की है। जहां गांव में सभी जाति के लोग निवास कर रहे हैं। इस गांव की बात करें तो करीब 200 से 250 परिवार मुश्लिम समुदाय (फ़कीर) से आते है ये लोग मजदूरी के अलावा भीख मांग कर अपने परिवार का गुजर-बसर कर रहे हैं। इस जाति के लोगों के पास गांव में किसी प्रकार की कोई भी जमीन ना तो ग्राम प्रधान ने आवंटित की है और ना ही क्षेत्रीय जन-प्रतिनिधियों ने उनकी किसी भी समस्या का समाधान किया है। जिसके चलते आज यहां इस गांव के बाशिंदे अचल संपत्ति से कोसों दूर है। इनके पास किसी भी परिवार में एक भी बीघा जमीन नहीं है।
पिछले कई वर्षों से इंसान अपनों की कब्रे अपने ही घर-आंगन में खोदने को मजबूर है। लाख कोशिशों के बाबजूद भी इस गांव में एक भी कब्रिस्तान नहीं है और न हीं इस गांव में रह रहे लोगों के पास खुद की अपनी जमीनें है जिसमें ये लोग अपनों की कब्रे खोद सकें आखिर ये शर्म की बात है कि जहाँ हम 21 वीं सदीं में जाने की और गांव गांव विकास की बात करते है वहां पर आज भी मुर्दा हो चुके इंसानों के लिए कोई जगह नहीं है।
इस खबर को देखने के बाद या इसका संज्ञान लेने के बाद यहां की सरकार और जिला प्रशाशन इनकी समस्याओं का किस तरीके से समाधान निकालेगा, ये देखने वाली बात होगी।