Edited By Ramkesh,Updated: 09 Sep, 2024 07:55 PM
उत्तर प्रदेश 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ रोक लगा दी है। इसे लेकर उत्तर प्रदेश सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर हमला बोला है।...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ रोक लगा दी है। इसे लेकर उत्तर प्रदेश सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर हमला बोला है। अखिलेश ने कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में उप्र की सरकार दोहरा खेल न खेले। इस दोहरी सियासत से दोनों पक्ष के अभ्यर्थियों को ठगने और सामाजिक, आर्थिक व मानसिक रूप से ठेस पहुँचाने का काम भाजपा सरकार न करे।
उन्होंने कहा कि उप्र की भाजपा सरकार की भ्रष्ट-प्रक्रिया का परिणाम अभ्यर्थी क्यों भुगतें। जो काम 3 दिन में हो सकता था, उसके लिए 3 महीने का इंतज़ार करना और ढिलाई बरतना बताता है कि भाजपा सरकार किस तरह से नयी सूची को जानबूझकर न्यायिक प्रक्रिया में उलझाना व सुप्रीम कोर्ट ले जाकर शिक्षक भर्ती को फिर से लंबे समय के लिए टालना चाह रही है। सुप्रीम कोर्ट ले जाकर भर्ती लटकाने की भाजपाई चालबाज़ी को अभ्यर्थी समझ रहे हैं। उप्र भाजपा सरकार का ऐसा आचरण घोर निंदनीय है। उन्होंने का कि भाजपा न इनकी सगी है, न उनकी।
बता दें कि इस मामले में 13 अगस्त 2024 को लखनऊ हाई कोर्ट डबल बेंच ने एक फैसले दिया था। जिसे अनारक्षित वर्ग के कुछ अभ्यर्थियों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया है। जबकि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों और सरकार ने इस फैसले को सही माना हैं। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सरकार से इसका पालन किए जाने के लिए आग्रह भी किया। लेकिन सरकार इस पर आगे नहीं बढ़ पाई और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में सुना गया है।
नियुक्ति लिस्ट नए सिरे से जारी करने का आदेश स्थगित
इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षकों की नियुक्ति लिस्ट नए सिरे से जारी करने का हाई कोर्ट का आदेश फिलहाल स्थगित रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले के कानूनी पहलुओं को परख कर आदेश देगा। हाईकोर्ट ने आरक्षण नियमों का पालन न होने के आधार पर मेरिट लिस्ट रद्द कर दी थी। इसका असर लगभग 19000 ऐसे लोगों पर पड़ सकता है, जो 4 साल से नौकरी कर रहे हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों से कहा कि वह अधिकतम 7-7 पन्नों में अपनी लिखित दलीलें जमा करवा दें। कोर्ट ने इसके लिए 2 नोडल वकील तय किए। राज्य सरकार से भी जवाब दाखिल करने कहा है।