Edited By ,Updated: 02 Dec, 2016 01:25 PM
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि शादीशुदा लोगों का लिव-इन रिलेशनशिप में रहना गैर कानूनी और सामाजिक अपराध है।
इलाहाबादः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि शादीशुदा लोगों का लिव-इन रिलेशनशिप में रहना गैर कानूनी और सामाजिक अपराध है। कोर्ट के मुताबिक, ऐसा करके महिला या पुरुष अपने जीवनसाथी के साथ धोखा करते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। कोर्ट ने यह फैसला कुसुम देवी की पिटिशन रिजेक्ट करते हुए दिया। शादीशुदा कुसुम अपने प्रेमी के साथ लिव इन में रह रही थी। उसने परिवार वालों से खतरा बताते हुए सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की थी।
क्या है पूरा मामला?
मिर्जापुर की कुसुम का कहना था कि उसकी शादी 30 मई 2016 को उसकी मर्जी के खिलाफ संजय कुमार के साथ हुई, लेकिन वह पति के साथ नहीं रहती। पिछले 5 साल से अपने प्रेमी के साथ लिव-इन-रिलेशन में रह रही है, लेकिन फैमिली वाले उसे परेशान कर रहे हैं, उन्हें रोका जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी को ही संबंध बनाने की कानूनी मान्यता है। यदि कोई दूसरा पुरुष किसी की पत्नी के साथ संबंध बनाता है तो यह अपराध है।
सुरक्षा पाने का नहीं हक
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, सिर्फ कुंआरे, तलाकशुदा, विधवा या विधुर ही किसी के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रह सकते हैं। चूंकि ऐसा रिलेशन किसी भी समय खत्म हो सकता है। इसलिए ऐसे संबंध को नैतिक नहीं कहा जा सकता। इसी आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादीशुदा स्त्री को लिव-इन-रिलेशन में रहते हुए सुरक्षा पाने का हकदार नहीं माना और पिटिशन रिजेक्ट कर दी।