Edited By Imran,Updated: 04 Sep, 2024 11:37 AM
सुप्रीम कोर्ट से लेकर उत्तर प्रदेश की सियासत में बुलडोजर चर्चा का विषय बना हुआ है। लखनऊ में तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो अखिलेश को जबाव देते कह दिया है कि बुलडोजर सबके हाथ में फिट नहीं बैठता हैं। जो दंगाइयों के सामने नाक रगड़ते थे वो क्या...
लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट से लेकर उत्तर प्रदेश की सियासत में बुलडोजर चर्चा का विषय बना हुआ है। लखनऊ में तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो अखिलेश को जबाव देते कह दिया है कि बुलडोजर सबके हाथ में फिट नहीं बैठता हैं। जो दंगाइयों के सामने नाक रगड़ते थे वो क्या बुलडोजर चलाएंगे। बुलडोजर को चलाने के लिए तो हिम्मत चाहिए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कुछ लोगों को सपना देखने का आदत होती है, प्रदेश में 2017 के पहले लूट मची हुई थी। चाचा और भतीचा वसूली करने का काम करते थे।
अखिलेश के इस बयान पर पलटवार
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि वर्ष 2027 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनते ही पूरे प्रदेश के बुलडोजरों का रुख गोरखपुर की तरफ होगा। मंगलवार को प्रदेश पार्टी मुख्यालय पर गोरखपुर के पार्टी संगठन के कामकाज की समीक्षा कर रहे अखिलेश ने कहा था कि पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा की सरकार में निर्दोष लोगों को सताया जा रहा है। किसान परेशान हैं। नौजवानों का भविष्य अंधकारमय है।
लखनऊ में डॉ राम मनोहर लोहिया सभागार में सपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा था कि वह 2027 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार को बेदखल कर सत्ता में समाजवादी पार्टी की सरकार बनाने के लिए संकल्पित है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार में प्रदेश हर स्तर पर पिछड़ता चला गया है। विकास पूरी तरह अवरूद्ध है। जनता महंगाई, भ्रष्टाचार से त्रस्त है।
हालही में बुलडोजर की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है
देश के कई राज्यों में अपराधियों पर हो रही बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कहा कि किसी भी व्यक्ति का मकान सिर्फ इसलिए कैसे ढहाया जा सकता है कि वह एक आरोपी है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे पर दिशा निर्देश निर्धारित करने का प्रस्ताव रखती है। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने ध्वस्तीकरण कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर कहा, "भले ही वह दोषी हो, फिर भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता।
हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि वह किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देगा। पीठ ने कहा, "हम अखिल भारतीय आधार पर कुछ दिशा-निर्देश निर्धारित करने का प्रस्ताव करते हैं, ताकि उठाए गए मुद्दों के संबंध में चिंताओं का समाधान किया जा सके।"