जहां सत्ता का अभिमान हो परंतु विपक्ष का मान नहीं, वो सच्ची संसद हो ही नहीं सकती: Akhilesh

Edited By Ramkesh,Updated: 24 May, 2023 02:54 PM

where there is pride of power but no respect for the opposition akhilesh

Akhilesh संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का बुधवार को सामूहिक रूप से विपक्षी पार्टियों ने बहिष्कार करने का ऐलान किया है। आरोप लगाया कि इस सरकार के कार्यकाल में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है तथा समारोह से राष्ट्रपति को दूर रखना...

लखनऊ: संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का बुधवार को सामूहिक रूप से विपक्षी पार्टियों ने बहिष्कार करने का ऐलान किया है। आरोप लगाया कि इस सरकार के कार्यकाल में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है तथा समारोह से राष्ट्रपति को दूर रखना 'अशोभनीय कृत्य' एवं लोकतंत्र पर सीधा हमला है। इसे लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केन्द्र की भाजपा पर सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि भाजपाइयों द्वारा संसद के दिखावटी उद्घाटन से नहीं, बल्कि वहां पर लिखे ‘श्लोकों’ की मूल भावना को समझकर, सभी को सुनने व समझने का बराबर अवसर देना ही सच्ची संसदीय परंपरा है। जहां सत्ता का अभिमान हो परंतु विपक्ष का मान नहीं, वो सच्ची संसद हो ही नहीं सकती, उसके उद्घाटन में क्या जाना।

19 विपक्षी दलों ने उद्घाटन का किया विरोध 
बता दें कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक), जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, केरल कांग्रेस (मणि), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काट्ची (वीसीके), मारुमलार्ची द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) और राष्ट्रीय लोकदल ने संयुक्त रूप से बहिष्कार की घोषणा की है।

28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी 
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे। विपक्षी दलों की घोषणा को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उनसे अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। जोशी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘बहिष्कार करना और गैर-मुद्दे को मुद्दा बनाना सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं उनसे इस फैसले पर पुनर्विचार करने और समारोह में शामिल होने की अपील करता हूं।'

विपक्ष के 19 दलों ने एक संयुक्त बयान में कहा, "नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। हमारे इस विश्वास के बावज़ूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है और जिस निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया था, उससे हमारी अस्वीकृति के बाद भी हम अपने मतभेदों को दूर करने और इस अवसर को चिह्नित करने के लिए तैयार थे।" इन दलों ने बयान में आरोप लगाया, "राष्ट्रपति मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए, नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल राष्ट्रपति का घोर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जो इसके अनुरूप प्रतिक्रिया की मांग करता है।" उनके मुताबिक, भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 में कहा गया है कि "संघ के लिए एक संसद होगी जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन होंगे जिन्हें क्रमशः राज्यों की परिषद और लोगों की सभा के रूप में जाना जाएगा।"

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