Edited By Ramkesh,Updated: 09 Jul, 2025 02:34 PM

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को मर्ज (विलय) करने के फैसले पर सियासी घमासान तेज हो गया है। जहां एक ओर सरकार इस कदम को शिक्षा व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण की दिशा में उठाया गया निर्णय बता रही है, वहीं दूसरी ओर शिक्षक संगठन और...
लखनऊ (अश्वनी कुमार सिंह ): उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को मर्ज (विलय) करने के फैसले पर सियासी घमासान तेज हो गया है। जहां एक ओर सरकार इस कदम को शिक्षा व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण की दिशा में उठाया गया निर्णय बता रही है, वहीं दूसरी ओर शिक्षक संगठन और विपक्षी दल इस पर खुलकर विरोध जता रहे हैं। हालांकि इस मुद्दे पर सरकार को तब राहत मिली जब हाईकोर्ट ने स्कूल मर्जर के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया। इसके बावजूद शिक्षकों का आंदोलन जारी है और अब यह मामला राजनीतिक रंग भी पकड़ता जा रहा है।

सपा ने पोस्टर के जरिए किया विरोध, बीएसपी भी हमलावर
समाजवादी पार्टी ने अब इस मुद्दे पर पोस्टर वार छेड़ दिया है। लखनऊ में सपा के प्रदेश कार्यालय के बाहर एक बड़ा सा पोस्टर लगाया गया है, जो राहगीरों से लेकर नेताओं और छात्रों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। पोस्टर में सरकार पर तीखा कटाक्ष किया गया है। इसमें लिखा है — "यह कैसा रामराज्य है? बंद करो पाठशाला, खोलो मधुशाला!" इस पोस्टर को अमेठी के सपा नेता जय सिंह प्रताप यादव ने लगवाया है। इससे पहले भी सपा ने सरकार की इस नीति पर कई बार सवाल उठाए हैं। वहीं बहुजन समाज पार्टी भी इस मुद्दे पर विरोधी रुख अपना चुकी है। बीएसपी प्रमुख मायावती पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो स्कूल मर्जर का यह निर्णय रद्द कर दिया जाएगा।
शिक्षक संगठन अड़े, सरकार बचाव में
शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह फैसला शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE Act) का उल्लंघन है और इससे ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। दूसरी ओर सरकार का तर्क है कि कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को मर्ज करने से संसाधनों का समुचित उपयोग होगा और शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ेगी।
सड़क से सोशल मीडिया तक बहस तेज
लखनऊ में सपा कार्यालय के बाहर लगा पोस्टर न केवल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी इसकी तस्वीरें वायरल हो रही हैं। जनता के बीच इस मुद्दे को लेकर बहस तेज हो गई है — कुछ लोग सरकार की नीति को समर्थन दे रहे हैं, तो कई इसे ग्रामीण शिक्षा पर चोट मान रहे हैं।