गंगा-यमुना का जलस्तर बढ़ा, निचले क्षेत्रों में रहने वाले हलाकान

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 29 Aug, 2019 11:50 AM

water level in ganga yamuna rises

उत्तर प्रदेश के तीर्थराज प्रयाग में पतित पावनी गंगा और श्यामल यमुना में केन और बेतवा का पानी पहुंचने से निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की मुस्कान एक बार फिर काफुर हो गयी। मंगलवार सुबह आठ बजे से गुरूवार आठ बजे के बीच दोनो नदियों का जलस्तर क्रमश:...

 

प्रयागराजः उत्तर प्रदेश के तीर्थराज प्रयाग में पतित पावनी गंगा और श्यामल यमुना में केन और बेतवा का पानी पहुंचने से निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की मुस्कान एक बार फिर काफुर हो गयी। मंगलवार सुबह आठ बजे से गुरूवार आठ बजे के बीच दोनो नदियों का जलस्तर क्रमश: फाफामऊ में गंगा 1.09 मीटर, छतनाग 1.30 और नैनी में यमुना 1.43 मीटर तक बढ़ गया। मंगलवार को फाफामऊ में गंगा 79.86 मीटर, छतनाग में 78.80 और नैनी में यमुना 79.33 मीटर जलस्तर दर्ज किया गया था जबकि गुरूवार सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर फाफामऊ में 80.95, छतनाग में 80.10 और नैनी में यमुना 80.76 मीटर दर्ज किया गया है।

दो सप्ताह पहले तक प्रयागराज में दोनों निदयों का जलसतर बढ़ने से बाढ़ का खतरा बढ़ गया था। एक समय बढ़ी गंगा तट से करीब आधा किलोमीटर दूर बंधवा पर लेटे हनुमान जी को स्नान कराने के बाद घटना शुरू हो गयी थी लेकिन पिछले दो दिनों से केन ओर बेतवा का पानी गंगा ओर यमुना में आने से जलस्तर में इजाफा शुरू हो गया।

बाढ़ प्रखण्ड सिंचाई विभाग के अभियंता बृजेश कुमार का कहना है पहाडों पर बारिश नहीं होन ओर बंधों से पानी नहीं छोड़े जाने से फिलहाल बाढ़ का खतरा खत्म हो गया है। पिछले दिनों हथिनी कुण्ड से 11 दिन पहले आठ लाख क्यूसेक से अधिक छोडा गया पानी और नरौरा बांध के पानी के यहां पहुंचने से दोनो नदियों के जलस्तर में वृद्धी दर्ज की गयी है। लेकिन अब जलस्तर बढ़ने की रफ्तार धीमी पड़ गयी है।

उन्होंने बताया कि टोंस नदी में पानी कम होने के कारण आने वाला आगे निकल जायेगा। ऐसे में फिलहाल बाढ़ का खतरा नहीं है। दोनों नदियों का जलस्तर बढ़ने से घाट पर बैठने वाले पंडा और पुरोहितों को अपने-अपने सामान को एक बार फिर से पीछे खींचना पडा। घाट पर दारागंज निवासी पंडा ओंकार मिश्र ने बताया कि यह तो गंगा मइया का खेला है। एक बार गंगा बढ़ने के बाद घटती हैं और फिर दोबारा थोड़ा बढने के बाद घटना शुरू कर देती हैं। बंधवा पर लेटे हनुमान जी का जलाभिषेक ओर पांव पखारने के बाद गंगा का घटना तभी से कम हो जाता है। यह हर साल का उनका नियम है।

घाट पर स्नान करने आने वाले निचले क्षेत्र निवासी दीपक श्रीवास्तव का कहना है कि जबतक नदियों में बाढ़ का पानी पूरी तरह घट नहीं जाता तबतक कुछ कहना ठीक नहीं है। हमें तो दिन की तुलना में रात की अधिक फिक्र रहती है।







 

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