Edited By Imran,Updated: 25 May, 2023 06:39 PM

UPSC Result 2022: कहानी एक ऐसे शख्स की जो झुग्गी में मुफलिसी और तमाम मुसीबतों को झेलते हुए इस कदर मेहनत किया कि कामयाबी खुद चलकर उसके पास आ गई। दरअसल, मुंबई के वाड़ीबंदर की झपड़पट्टी में रहने वाले हुसैन सैयद पर एकदम फिट बैठती हैं।
UPSC Result 2022: कहानी एक ऐसे शख्स की जो झुग्गी में मुफलिसी और तमाम मुसीबतों को झेलते हुए इस कदर मेहनत किया कि कामयाबी खुद चलकर उसके पास आ गई। दरअसल, मुंबई के वाड़ीबंदर की झपड़पट्टी में रहने वाले हुसैन सैयद पर एकदम फिट बैठती हैं। मुफलिसी और तंगहाली के बावजूद हुसैन ने अपनी पढ़ाई और जज्बे को जिंदा रखते हुए यूपीएसी की परीक्षा में 570वीं रैंक हासिल की है।
आपको बता दें कि हुसैन मुंबई के उस इलाके में रहते हैं, जहां सबसे अधिक वे लोग रहते हैं जो डॉक में काम करते हैं। इनमें से एक घर डॉकयार्ड पर लेबर सुपरवाइजर का काम करने वाले रमजान सैयद का भी है। रमजान सैयद हुसैन के पिता हैं। मंगलवार को उनके घर का माहौल खुशियों से सराबोर था। देश की सबसे प्रतिष्ठित नौकरी मानी जाने वाली यूपीएससी की परीक्षा को उनके सबसे छोटे बेटे मोहम्मद हुसैन ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 पास कर ली थी। यूं तो यूपीएससी 2022 के रिजल्ट से खुशी तो देश के 933 छात्रों और उनके परिजनों को मिली। हालांकि, मोहम्मद हुसैन की उपलब्धि विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि उन्होंने यहां तक पहुंचने के दौरान कई कठिन सामाजिक और आर्थिक बाधाओं का सामना किया था।

घर और आसपास बिल्कुल नहीं था पढ़ाई का माहौल
मिली जानकारी के अनुसार, मोहम्मद हुसैन के जीवन में केवल एक ही परेशानियां नहीं थी, बल्कि उनकी खराब आर्थिक स्थिति के साथ- साथ जगह की कमी। इसके अलावा घर में पढ़ाई के अनुकूल माहौल नहीं था। साथ ही सिविल सेवा परीक्षा के संबंध में शुरुआत में बहुत कम जानकारी और जरूरी मार्गदर्शन और संसाधनों की कमी का भी सामना करना पड़ा। इन सब चुनौतियों को पछाड़ते हुए 27 वर्षीय मोहम्मद पांचवें प्रयास में ऑल इंडिया 570 रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास करने में कामयाब रहे।
घरवालों को हुसैन सराहा
मोहम्मद हुसैन ने अपने परिवार की तारीफ करते हुए कहा कि जब वह अपने पिता के साथ एक सरकारी दफ्तर में गए थे। उनके सिर पर आईएएस अधिकारी बनने का जुनून सवार हुआ। हुसैन कहते हैं कि मेरी इस यात्रा के दौरान मेरे परिवार ने हमेशा साथ दिया। यहां तक की घरेलू समस्याओं से भी दूर रखने की कोशिश की ताकि मेरा ध्यान पढ़ाई से न भटके। हुसैन ने बताया कि जब भी वह परीक्षा देने जाते थे तो उनके पिता भी साथ जाते थे।