UP: अस्पताल में 52 दिन तक कोरोना से जंग लड़ने के बाद घर लौटा सफाईकर्मी, पत्नी के आखों से निकले आंशू, बोलीं- मैं रातों को...

Edited By Umakant yadav,Updated: 15 Jun, 2021 10:30 PM

up the sweeper returned home after fighting a battle with corona for 52 days

उत्तर प्रदेश के नोएडा में 52 दिन तक अस्पताल में कोविड-19 से जंग लड़ने के बाद आखिरकार मंगलवार को सफाईकर्मी घर लौट आया, जिसके बाद उसके परिवार में खुशी का ठिकाना न रहा। त्रिमूर पांडा की पत्नी सपना पांडा कहती हैं, ''''मैं रातों को सो नहीं पाई और सोचती...

नोएडा: उत्तर प्रदेश के नोएडा में 52 दिन तक अस्पताल में कोविड-19 से जंग लड़ने के बाद आखिरकार मंगलवार को सफाईकर्मी घर लौट आया, जिसके बाद उसके परिवार में खुशी का ठिकाना न रहा। त्रिमूर पांडा की पत्नी सपना पांडा कहती हैं, ''मैं रातों को सो नहीं पाई और सोचती थी कि अगर उन्हें कुछ हो गया तो मैं और मेरी बेटियां क्या करेंगे।''

बता दें कि पांडा (55) एक निजी स्कूल में सफाई कर्मचारी और एक घर के 'देखभालकर्मी' के तौर पर कार्यरत हैं। वह घरेलू सहायिका के तौर पर काम करने वाली अपनी पत्नी सपना और 15 व 18 साल की दो बेटियों के साथ रहते हैं। उन्हें एक से अधिक बीमारियों के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पांडा के घर लौटने से परिवार ने राहत की सांस ली है। उत्तर प्रदेश सरकार और निजी संस्थान के हस्तक्षेप के कारण ग्रेटर नोएडा के एक निजी अस्पताल में उनका निशुल्क इलाज किया गया। सपना ने बताया, '' वह अप्रैल में कोरोना वायरस की चपेट में आ गए थे, जिसके बाद हमने अस्पताल में बिस्तरों की कमी के बीच उन्हें भर्ती कराने को लेकर संघर्ष किया। हमने कई जगहों पर कोशिश की, लेकिन आखिरकार उन्हें शारदा अस्पताल में भर्ती कराया, जहां वह 52 दिनों तक रहे और घर लौट आए। अब वह स्वस्थ हैं।''

त्रिमूर ने कहा कि वह घर लौटकर अपनी पत्नी और बेटियों को साथ पाकर अच्छा महसूस कर रहे हैं, हालांकि उन्हें थोड़ी कमजोरी है। त्रिमूर ने कहा, ''अस्पताल में रहने के दौरान मैं निश्चित रूप से चिंतित था। मैं अक्सर सोचता था कि क्या मैं जीवित बच पाउंगा या अस्पताल में ही दम तोड़ दूंगा।'' ओडिशा निवासी पति-पत्नी की दूसरी चिंता अस्पताल के बिल को लेकर थी, जिसने उनकी नींद उड़ा रखी थी। उन्होंने कहा, ''मैं बिल के बारे में सोचकर डरा हुआ था।'' सपना ने कहा कि वह नोएडा में कुछ घरों में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थीं, लेकिन पिछले साल महामारी की मार उनपर भी पड़ी और वह बेरोजगार हो गईं। सपना ने कहा, ''मैं रातों को सो नहीं पाती थी और सोचती थी कि अगर उन्हें कुछ हो गया तो मैं और मेरी बेटियां क्या करेंगे।''

सपना खुद भी कोरोना वायरस की चपेट में आ गई थीं और उन्होंने अपनी बेटियों को दोस्त के घर भेज दिया था। वह खुद घर पर ही संक्रमण से उबर गईं। उन्होंने कहा, ''नोएडा से ग्रेटर नोएडा में अपने पति के पास जाना एक मुश्किल काम था। मैं उन्हें 52 दिनों में केवल तीन बार देखने जा सकी क्योंकि एक ऑटो-रिक्शा एक तरफ की यात्रा के लिए 240-250 रुपये और इतनी ही या अधिक राशि वापस आने के लिये लेता था। हम एक दिन में यात्रा पर 600 रुपये खर्च नहीं कर सकते।'' शारदा अस्पताल के अध्यक्ष पी के गुप्ता ने कहा कि परिवार से इलाज के लिए कोई पैसा नहीं लिया गया है। परिवार ने फोन पर इसकी पुष्टि भी की। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आंशिक रूप से एक समर्पित कोविड-19 अस्पताल, शारदा अस्पताल में त्रिमूर सबसे लंबे समय तक भर्ती रहे।

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