Edited By Mamta Yadav,Updated: 28 Mar, 2022 09:13 PM

केंद्र सरकार की कथित मजदूर विरोधी नीतियों और निजीकरण समेत अन्य मुद्दों को लेकर श्रमिक संगठनों द्वारा आहूत दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का उत्तर प्रदेश में मिला जुला असर रहा। हड़ताल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ प्रतिष्ठान बंद रहे। स्टेट...
लखनऊ: केंद्र सरकार की कथित मजदूर विरोधी नीतियों और निजीकरण समेत अन्य मुद्दों को लेकर श्रमिक संगठनों द्वारा आहूत दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का उत्तर प्रदेश में मिला जुला असर रहा। हड़ताल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ प्रतिष्ठान बंद रहे। स्टेट बैंक आफ इंडिया समेत सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ अन्य बैंकों में कामकाज आम दिनों की तरह हुआ। निजी क्षेत्र के बैंक पूरी तरह खुले रहे।
भारतीय जीवन बीमा निगम के दफ्तरों में सन्नाटा पसरा रहा। केंद्रीय भारतीय श्रमिक संघों (सीटू) की दो दिवसीय हड़ताल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ विरत रहा। हड़ताल के दौरान राज्य परिवहन निगम की सेवायें निर्विराध रूप से जारी रही। हालांकि बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल के दौरान खुद को कार्य से विरत रखा मगर जरूरी सेवायें बेरोक टोक जारी रहीं।
अनपरा, ओबरा, पारीछा, हरदुआगंज, वाराणसी, प्रयागराज, मिर्जापुर, मेरठ, आगरा, अलीगढ़, लखनऊ, कानपुर, बरेली, गोरखपुर, अयोध्या, देवीपाटन, बस्ती, सहारनपुर, गाजियाबाद, मुरादाबाद, नोएडा, बुलन्दशहर, मथुरा, झांसी, बांदा, चित्रकूट समेत सभी जिला मुख्यालयों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन किये गये। राजधानी लखनऊ में शक्तिभवन पर जबरदस्त विरोध सभा हुई। सभा में बिजली कर्मियों ने जोरदार तरीके से विरोध प्रकट कर प्रबंधन की तानाशाही का विरोध किया।