Edited By Ajay kumar,Updated: 13 Sep, 2019 02:49 PM
उत्तर प्रदेश में एक चार दशक पुराने कानून की वजह से मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरा जाता है. कानून में कहा गया है कि मुख्यमंत्री और मंत्री अपने कम वेतन के कारण इनकम टैक्स नहीं भर सकते हैं।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक चार दशक पुराने कानून की वजह से मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरा जाता है. कानून में कहा गया है कि मुख्यमंत्री और मंत्री अपने कम वेतन के कारण इनकम टैक्स नहीं भर सकते हैं। हालांकि, चुनाव के दौरान जमा किए जाने वाले शपथपत्रों को देखें तो इनमें से कई मंत्रियों के पास करोड़ों की चल-अचल संपत्ति होती है। साथ ही वो महंगी गाडिय़ों में चलते हैं. अमीर नेताओं का भी टैक्स चुकाने वाला यह राज्य सबसे गरीब प्रदेशों की सूची में आता है।
चुनावी हलफनामे में करोड़ों की संपत्ति घोषित
यूपी के कई मंत्रियों ने अपने चुनावी हलफनामे में बताया है कि उनके पास करोड़ों की चल और अचल संपत्ति है। साथ ही इन्हें महंगी गाडिय़ों में घूमते देखा जा सकता है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री और मंत्रियों का टैक्स भरने वाले राज्य की गिनती देश के सबसे गरीब राज्यों में होती है।
*टाइम्स ऑफ इंडिया* की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज, अलाउंसेस और मिसलेनियस एक्ट, साल 1981 में बना था। उस समय विश्वनाथ प्रताप सिंह राज्य के मुख्यमंत्री थे।
1981 से अब तक बने 19 मुख्यमंत्री
1981 से राज्य में अलग-अलग पार्टियों से 19 मुख्यमंत्री बन चुके हैं। इनमें समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी से मायावती, कांग्रेस से नारायण दत्त तिवारी, बीजेपी से कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और अब भाजपा के योगी आदित्यनाथ शामिल हैं। इस बिल के विधानसभा में पेश होने के समय बहस हुई थी। इस दौरान वीपी सिंह ने सदन में कहा था कि राज्य सरकार को मंत्रियों के इनकम टैक्स भरने चाहिए क्योंकि ज्यादातर मंत्री गरीब हैं और उनकी आय बेहद कम है।
योगी सरकार ने भी सरकारी खजाने से चुकाया टैक्स
योगी सरकार के मंत्रियों का भी इनकम टैक्स भी पिछले दो वित्त वर्ष से राज्य के सरकारी खजाने से चुकाया जा रहा है। इस वित्त वर्ष में सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्रिपरिषद का बिल 86 लाख रुपए आया, जिसे सरकार की तरफ से दिया गया।