Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 01 Mar, 2021 05:08 PM
उत्तर प्रदेश सरकार ने आज विधान परिषद में स्वीकार किया 30 जनवरी 2021 को गाजियाबाद नोएडा समेत छह नगरों मुरादाबाद,कानपुर,ग्रेटर नोएडा और बुलंदशहर की एयर क्वालटी इंडेक्स (एक्यूआई) अत्यधिक खराब श्रेणी में अर्थात 301 से 400 के मध्य पाई गई। प्रश्न प्रहर...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने आज विधान परिषद में स्वीकार किया 30 जनवरी 2021 को गाजियाबाद नोएडा समेत छह नगरों मुरादाबाद,कानपुर,ग्रेटर नोएडा और बुलंदशहर की एयर क्वालटी इंडेक्स (एक्यूआई) अत्यधिक खराब श्रेणी में अर्थात 301 से 400 के मध्य पाई गई। प्रश्न प्रहर में आज सपा के शतरुद्र प्रकाश के प्रदूषण संबंधी अल्पसूचित से तारांकित प्रश्न के लिखित जवाब में राज्य के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री दारा सिंह चौहान ने परिषद में कहा कि आज पूरी दुनिया पर्यावरण को लेकर चिंतित है। विकास के काम होने की वहज से वायु प्रदूषण होना संभावित है। सरकार इसके नियंत्रण के लिए काम कर रही है।
वन एवं पर्यावरण विभाग के मंत्री ने कहा कि वायु प्रदूषण के मद्देनजर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा राज्य के चिन्हित 15 शहरों यथा लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, खुर्जा, फिरोजाबाद, प्रयागराज, नोएडा, गाजियाबाद, अनपरा, गजरौला, मुरादाबाद, बरेली, झांसी तथा रायबरेली में वायु प्रदूषण नियंत्रण कार्ययोजना क्रियान्वित है, जिनमें वायु प्रदूषण के प्रमुख श्रोतों से जनित प्रदूषण नियंत्रण के लिए 59 कार्यवाही के बिन्दु निर्धारित हैं। इन का नियमित अनुश्रवण जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति तथा राज्य स्तर पर प्रमुख सचिव पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की अध्यक्षता में गठित एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग कमेटी द्वारा किया जाता है।
उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए कार्ययोजना के लिए क्रियान्वयन के द्दष्टिगत सतत् परिवेशीय वायु गुणवत्ता का मापन किए जाने वाले 13 नगरों आगरा, बागपत, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, ग्रेटर नोएडा, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़, कानपुर, लखनऊ, मुरादाबाद, और वाराणसी में से दस नगरों कानपुर वाराणसी, लखनऊ, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, बागपत, हापुड़, मुजफ्फरनगर और मेरठ की गुणवत्ता में पीएम- 2.5 प्रचालक की मात्रा वर्ष 2019 के सापेक्ष वर्ष 2010 में 1.96 से 54. 64 प्रतिशत तक की कमी आई है।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि प्रदूषण के प्रमुख श्रोत सड़क की डस्ट,निर्माण एवं विध्वंस गतिविधियों से धूल जनित, वाहनों के उर्त्सन, कूड़ा आदि जलाया जाना आदि हैं। उन्होंने बताया कि वाराणसी समेत अन्य जिलों में प्रदूषण मापक यंत्र लगाये जा रहे है।