‘भूखा न सोए कोई-रोटी बैंक हरदोई' नारे के साथ शुरू हुआ था आंदोलन, 14 राज्यों में फैला...100 से अधिक इकाइयां कर रही है काम

Edited By Pooja Gill,Updated: 12 Feb, 2023 11:27 AM

the movement started with the slogan  bhuka na

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में रेलवे स्टेशन पर 7 वर्ष पहले भीख मांगने वाली एक वृद्ध महिला को भरपेट खाना खिलाने के बाद हरदोई जिले के विक्रम पांडेय के मन में भूखों का पेट भरने का जो जज्बा पैदा हुआ। वह अब 'इंडियन रोटी...

लखनऊः उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में रेलवे स्टेशन पर 7 वर्ष पहले भीख मांगने वाली एक वृद्ध महिला को भरपेट खाना खिलाने के बाद हरदोई जिले के विक्रम पांडेय के मन में भूखों का पेट भरने का जो जज्बा पैदा हुआ। वह अब 'इंडियन रोटी बैंक' (Indian Roti Bank) के रूप में एक आंदोलन की शक्ल ले चुका है। ‘भूखा न सोए कोई-रोटी बैंक हरदोई' नारे के साथ पांडेय के शुरू किए गए इस सफर में लोग जुड़ते गए और अब तक देश के करीब 14 राज्यों में आईआरबी काम कर रहा है।

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बता दें कि लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई करने वाले हरदोई के निवासी विक्रम पांडेय (38) आईआरबी के संस्थापक हैं। बीते पांच फरवरी को आईआरबी ने अपना सातवां स्थापना दिवस मनाया। विक्रम पांडेय ने कहा कि ''करीब सात वर्ष पहले रेलवे स्टेशन पर एक महिला मुझसे भीख में पैसे मांग रही थी, मैंने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया, लेकिन महिला ने कई बार अपने भूखे होने की दुहाई दी तो मैं उसे एक ठेले पर ले गया। वहां उसने जल्‍दी-जल्‍दी छह-सात पूडि़यां खाईं। वह बहुत भूखी थी।'' पांडेय ने कहा “'उस दिन मैं दिल्ली जा रहा था और रास्ते भर उस महिला की भूख और असमर्थता के बारे में सोचता रहा। दिल्ली से वापसी के बाद मैंने अपने कुछ दोस्तों की मदद से छह फरवरी, 2016 को ''भूखा न सोए कोई, रोटी बैंक हरदोई'' नारे के साथ भूखों को खाना खिलाने की शुरुआत की।'' यह इंडियन रोटी बैंक की स्थापना का दिन था।

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शुरुआत में कुछ अधिकारियों ने बढ़ाया मेरा हौसला- विक्रम पांडेय
विक्रम पांडेय ने बताया कि ''शुरुआत में कुछ स्थानीय अधिकारियों ने मेरा हौसला बढ़ाया और फिर मैं दोस्तों के सहयोग से भूखों को रोटी बांटने लगा। इस अभियान में लोग जुड़ते गए और कुछ ही समय बाद ''खाओ पियो रहो आबाद-रोटी बैंक फर्रुखाबाद'' की शुरुआत की। इसके बाद जो सिलसिला शुरू हुआ वह लगातार जारी रहा। आईआरबी संस्थापक ने कहा कि ''अब 14 राज्यों में 100 से अधिक जिलों में इंडियन रोटी बैंक की शाखाएं हैं और तकरीबन 12 लाख लोगों को भोजन उपलब्ध कराने में सफलता मिली है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में आईआरबी के स्वयंसेवकों ने लोगों को रोटी पहुंचाने में तत्परता दिखाई और उसकी खूब सराहना हुई। पांडेय ने कहा कि '' मेरा सपना भारत के सभी जिलों में रोटी बैंक की एक यूनिट खोलने का है।''

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14 राज्यों में 100 से अधिक इकाइयां कर रही है काम-विक्रम पांडेय
विक्रम पांडेय ने बताया, ''उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और दिल्ली समेत 14 राज्यों में हमारी 100 से अधिक इकाइयां काम रही हैं। सभी इकाइयों में उत्साही युवकों को आईआरबी समन्वयक जोड़ते हैं और हर इकाई के स्वयंसेवक सप्ताह में निर्धारित एक दिन अलग-अलग परिवारों से रोटी एकत्र करते हैं। किसी परिवार से 10 तो किसी परिवार से 75 रोटी भी मिल जाती है।'' आईआरबी की कार्यशैली के बारे में विक्रम पांडेय ने बताया कि ''संस्था के स्‍वयंसेवक हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी से रोटियां दान में लेते हैं और चार-चार रोटी, सूखी सब्जी, अचार और मिर्च रखकर पैकेट तैयार कर लेते हैं। इन पैकेट को रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, सार्वजनिक स्‍थलों पर भिखारियों, भूखों और जरूरतमंदों को बांटते हैं।'' उन्होंने बताया कि खाने का पैकेट बनाने का कार्य महिला कार्यकर्ता करती हैं, जबकि स्‍वयंसेवक साइकिल, बाइक और गाड़ियों से रोटी के पैकेट बांटते हैं। संगठन के लोग सब्जी खुद बनाते हैं।

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50-60 परिवारों से औसत 300 रोटियां मिल जाती हैं- मोहित शर्मा
आईआरबी, लखनऊ के समन्वयक जियामऊ के निवासी मोहित शर्मा ने बताया कि हमें यहां 50-60 परिवारों से औसत 300 रोटियां मिल जाती हैं और उन्हें पैकेट में रखकर जरूरतमंदों में बांटते हैं। विक्रम पांडेय ने बताया कि देश भर में आईआरबी की टीम को प्रति सप्ताह औसतन 50 हजार से अधिक रोटियां मिलती हैं। लखनऊ में महिला कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय का काम गरिमा रस्तोगी करती हैं। रस्‍तोगी ने बताया कि हम लोग परिवारों से रोटी, सब्जी और अन्य सामग्री जुटाने के साथ-साथ खाने की ताजगी और शुद्धता का भी ध्यान रखते हैं। सूचना मिलने पर किसी समारोह में बचे हुए शुद्ध खाने का भी उपयोग जरूरतमंदों को बांटने में करते हैं।

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विक्रम पांडेय कांग्रेस पार्टी में भी हैं सक्रिय
विक्रम पांडेय कांग्रेस पार्टी में भी सक्रिय हैं, हालांकि उन्होंने रोटी बांटने के अभियान को अपने जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य बना लिया है। विक्रम के पिता शैलेश पांडेय हरदोई में अधिवक्‍ता हैं और उनकी मां एक गृहिणी हैं। पांडेय का दावा है कि वह सिर्फ जनसहयोग से अपनी संस्था चलाते हैं। उन्होंने कहा कि “सरकार, शासन-प्रशासन से 1 रुपये का कोई सहयोग नहीं लेता हूं और न ही किसी से चंदा या कोई अनुदान लेता हूं।'' जिन राज्यों में आईआरबी की शाखाएं हैं, उन राज्यों में और जिला इकाइयों में विक्रम पांडेय ने समन्वयकों की तैनाती की है जो सेवाभाव से इस अभियान में जुटे हैं।

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बैंक को whatsapp group के जरिए नेटवर्क संचालित करने में मिली सफलता
पांडेय ने कहा कि इंडियन रोटी बैंक को वाट्सएप ग्रुप के जरिए नेटवर्क संचालित करने में सफलता मिली है और हमारी नाइजीरिया और नेपाल में भी शाखा खुल चुकी है। गुजरे सात वर्षों में बहुत से लोग इंडियन रोटी बैंक से जुड़े और बाद में अलग भी हो गये। आईआरबी के उत्तर प्रदेश समन्वयक की भूमिका निभा चुके बलिया के राम बदन चौबे ने पीटीआई-भाषा से कहा कि ''मैं आईआरबी से जुड़ा था लेकिन अब अलग होकर बलिया में अपने स्तर से भूखों को रोटी देने का काम करता हूं।'' विक्रम पांडेय ने बताया कि आईआरबी से बहुत से लोग उत्साह में जुड़ते हैं और सफलता मिलने के बाद अलग हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि कई कार्यकर्ता तो रोटी बांटकर ही पार्षद बन गए और फिर अभियान से अलग हो गए। 

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