Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 31 Jul, 2020 03:45 PM
यथार्थवादी लेखन ने मुंशी प्रेमचंद को हिंदी साहित्य की दुनिया में तो अमर बनाया ही इसके साथ ही आमजन के जीवन पर आधारित लेखन ने उन्हें पाठकों के दिल में जगह बना लिया। मुंशी प्रेमचंद...
यूपी डेस्कः यथार्थवादी लेखन ने मुंशी प्रेमचंद को हिंदी साहित्य की दुनिया में तो अमर बनाया ही इसके साथ ही आमजन के जीवन पर आधारित लेखन ने उन्हें पाठकों के दिल में जगह बना लिया। मुंशी प्रेमचंद की आज 140वीं जयंती है।
प्रेमचंद जी की रचना-दृष्टि विभिन्न साहित्य रूपों में प्रवृत्त हुई। बहुमुखी प्रतिभा संपन्न प्रेमचंद ने उपन्यास, समीक्षा, नाटक, कहानी, लेख, संपादकीय व संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की। प्रमुखतया उनकी ख्याति कथाकार के तौर पर हुई और अपने जीवन काल में ही वे ‘उपन्यास सम्राट’ की उपाधि से सम्मानित हुए।
उन्होंने कुल 15 उपन्यास, 300 से कुछ अधिक कहानियाँ, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें तथा हजारों पृष्ठों के लेख, सम्पादकीय, भाषण, भूमिका, पत्र आदि की रचना की। मंगलसूत्र उनकी एक अपूर्ण (अधूरी) रचना है। अंग्रेजों द्वारा उनकी रचना सोज़-ए-वतन को जब्त कर लिया गया था।
प्रेमचंद जी कि वह अमर रचनाएं जिन्होंने उन्हें अमर वह उपन्यास सम्राट बना दिया। उनमें सेवासदन 1918, प्रेमाश्रय 1922, रंगभूमि 1925, निर्मला 1925, कायाकल्प 1927, गबन 1928, कर्मभूमि 1932, गोदान 1936 आदि शामिल हैं। बता दें कि उनके नाम के बिना भारतीय साहित्य की चर्चा अधूरी है। भारतीय साहित्य और मुंशी प्रेमचंद एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने सरल भाषा का उपयोग कर अपने प्रगतिशील विचारों को पन्नों पर उतारा। उनके यथार्थवादी व आमजन के जीवन पर आधारित लेखन ने उन्हें अमर बना दिया। इसके साथ ही हिंदी साहित्य के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में लिख दिया।