Edited By Pooja Gill,Updated: 26 Nov, 2022 02:58 PM
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उत्तर प्रदेश में होने वाले मदरसा सर्वे की रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। जिसके बाद मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने सर्वे के बारे में अपनी राय देते हुए कहा है कि, मदरसों का सर्वे किसी भी प्रकार की जांच...
लखनऊः उत्तर प्रदेश में होने वाले मदरसा सर्वे की रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। जिसके बाद मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने सर्वे के बारे में अपनी राय देते हुए कहा है कि, मदरसों का सर्वे किसी भी प्रकार की जांच नहीं थी। उन्होंने कहा कि कोई भी मदरसा अवैध, फर्जी या नकली नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मदरसों का सर्वे केवल डाटा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
बता दें कि मदरसा बोर्ड के चेयरमैन ने सभी मदरसा प्रबंधन को भेजे गए संदेश में कहा है कि, सरकार समय-समय पर मदरसों का सर्वे कराती हैं और जो डाटा प्राप्त होता है उसके जरिये योजनाएं बनाई जाती है। उन्होंने कहा कि सर्वे की चर्चा इसलिए ज्यादा हो गई, क्योंकि पूर्व की सरकारों का मदरसों की सुधार की दिशा में कोई कार्य नहीं किया गया। वहीं, उन्होंने यह भी कहा कि मदरसों का जो सर्वे हुआ है उसे सामान्य सर्वे समझा जाए, यह किसी भी प्रकार की जांच नहीं थी। मदरसा शिक्षा परिषद की संस्तुति पर प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे का ऐतिहासिक कार्य तमाम मदरसा संचालकों और प्रबंधकों के सहयोग से पूरा हुआ है। इसके लिए उनकी जितनी भी तारीफ की जाए कम होगी।
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मदरसों को समाज की मुख्यधारा में लाने की करेंगे कोशिश- चेयरमैन
मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि, पूरे सूबे के आंकड़ों पर गौर करें तो तकरीबन 7,500 के आसपास गैर मान्यता मदरसों की पहचान हो पाई है। हालांकि15 नवंबर तक डीएम के जरिए से सर्वे की पूरी रिपोर्ट शासन स्तर पर आ गई है। डॉ. जावेद ने कहा कि सर्वे से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था करते हुए उनका बेहतर विकास करके उन्हें देश व समाज की मुख्यधारा में लाने की कोशिश की जाएगी।