Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 13 Nov, 2019 02:29 PM
महंगाई की मार झेल रहे पाकिस्तान में ही गधों की अहमियत नहीं है, बल्कि हिंदुस्तान में भी गधे काफी अहमियत रखते हैं। बात बलिया के ददरी मेला कि, की जाए तो यहां लगने वाले पशु मेले में गधों का मेला आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। गधा मे...
बलियाः महंगाई की मार झेल रहे पाकिस्तान में ही गधों की अहमियत नहीं है, बल्कि हिंदुस्तान में भी गधे काफी अहमियत रखते हैं। बात बलिया के ददरी मेला कि, की जाए तो यहां लगने वाले पशु मेले में गधों का मेला आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। गधा मेला में महज गधों का व्यापार नहीं होता है। साथ ही धोबी समाज के लोग बेटे बेटियों की शादी भी तय करते हैं, जिसके जरिए व्यापार के साथ-साथ सामाजिक बंधन भी मजबूत होता है।
जानिए क्यों अहमियत रखता है ददरी मेला
ऐतिहासिक ददरी मेले में पशु मेला खासी अहमियत रखता है। ऐसे में पशु मेले में आने वाले गधे और खच्चर व्यापार को एक नया आयाम देते हैं। गधा मेला के दौरान बड़ी संख्या में अलग-अलग नसल के गधे और खच्चर आते हैं। गधा मेला की सबसे खास बात यह है कि व्यापार के साथ-साथ धोबी समाज के लोग अपने बेटे बेटियों की शादी भी यहीं से तय करते हैं।
वर-वधू की शादी तय करते हैं धोबी समाज के लोग
दरअसल, यह परंपरा सदियों पुरानी है। जब दूरदराज रहने वाले धोबी समाज के लोग एक दूसरे से नहीं मिल पाते है, लेकिन ददरी मेला में लगने वाले पशु मेले के जरिए धोबी समाज के लोग दूरदराज के अपने रिश्तेदारों और जान पहचान के व्यापारियों से मिलकर वर-वधू की शादी तय करते हैं और यही कार्ड भी आपस में एक दूसरे को वितरण कर देते हैं।
गधा मेला में लाखों रुपए तक बिकते हैं गधे और खच्चर
ददरी मेला अपने ऐतिहासिक और व्यापारिक इतिहास के लिए जाना जाता है। ऐसे में गधा मेला उन लोगों के लिए एक बड़े स्तर पर होता है, जिनके लिए अच्छी नस्ल के गधे और खच्चर आसानी से मिल जाते हैं। गधा मेला में हजारों से लेकर लाखों रुपए तक के गधे और खच्चर बिकते हैं। जिससे व्यापारी बड़ा मुनाफा कमाते हैं और इन मुनाफा के जरिए ही आपस में रिश्ता तय कर बेटे बेटियों की शादी भी तय करते हैं।
ऑधोबी समाज के लोगों का कहना है कि उनका समाज बहुत गरीब और निचले तबके के लोग हैं। लिहाजा इस तरीके के मेले से व्यापार तक ही नहीं सामाजिक बंधनों को भी मजबूत करते हैं।