सपा MLC लाल बिहारी के याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा सचिवालय से मांगा जवाब

Edited By Prashant Tiwari,Updated: 10 Feb, 2023 06:41 PM

supreme court seeks reply from assembly secretariat on sp

लखनऊ : UP विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का मामला सामने आया है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सपा MLC लाल बिहारी यादव की याचिका पर नोटिस जारी किया। सपा नेता लाल बिहारी की तरफ से...

लखनऊ : UP विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का मामला सामने आया है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सपा MLC लाल बिहारी यादव की याचिका पर नोटिस जारी किया। सपा नेता लाल बिहारी की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद में 90 निर्वाचित और 10 मनोनीत सदस्य हैं। प्रश्न यह है कि 10 फीसदी नियम को लेकर किसको आधार माना जाए। इसके जवाब में जज पीएस नरसिम्हा ने कहा कि मुझे लगता है कि पिछली लोकसभा में यह मुद्दा उठा था और पता चला कि फीसद जरूरी नहीं है। विपक्ष हो तो एक नेता भी होना चाहिए।

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2020 में दी गई थी मान्यता
समाजवादी पार्टी के नेता लाल बिहारी यादव वर्ष 2020 में विधान परिषद सदस्य बने और 27 मई 2020 को उन्हें विधान परिषद के विरोधी दल के नेता के रूप में मान्यता दी गई। बाद में जुलाई 2022 में विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के विधायकों की संख्या 10 से कम होने पर सभापति ने उनकी नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त कर दी थी। जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था। जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। जिस पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि विपक्ष का मतलब केवल सरकार में नहीं है। जब तक कानून द्वारा प्रतिबंधित न हो, हम मामले पर नोटिस जारी कर रहे हैं।

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MLC चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी सपा
बता दें कि हाल ही में हुए यूपी MLC के चुनाव में सपा एक भी सीट नहीं जीत सकी है। उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव की बात करें तो यहां की पांच सीटों में से चार सीटें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने हासिल किया हैं। वहीं एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की। विधान परिषद के तीन स्नातक और दो शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों में 30 जनवरी को मतदान हुआ था। इसी के साथ विधानमंडल के उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा हासिल करने की विपक्षी समाजवादी पार्टी की उम्मीदें टूट गई।

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