Edited By Ajay kumar,Updated: 27 Feb, 2020 02:38 PM

नए भारत के जोश से भरे युवा जिंदगी में बहुत कुछ नया और शानदार कर गुजरने की हिम्मत रखते हैं फिर राह मुश्किल हो या आसान क्या फर्क पड़ता है...
वाराणसीः नए भारत के जोश से भरे युवा जिंदगी में बहुत कुछ नया और शानदार कर गुजरने की हिम्मत रखते हैं फिर राह मुश्किल हो या आसान क्या फर्क पड़ता है। इन चंद शब्दों को मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र अर्पित कुमार सिंह, दिव्यांशु सिंह व प्रतीक सिंह पर मढ़ा जा सकता हैं। जो कि वाराणसी के सारनाथ स्थित अशोका अशोका इंस्टीट्यूट के छात्र हैं। जिन्होंने मिलकर कबाड़ व महज 1000 रूपए की लागत से रोबोट गार्ड 'रक्षक' बनाया है।
इजरायल के रोबोट गार्ड का अपग्रेड वर्जन है देसी रोबोट
छात्रों ने बताया कि सरहद की निगेहबानी के लिए हमारे भारतीय जवान कहीं हाड़ कंपा देने वाली -15 से -30 डिग्री सेल्सियस ठंड में पेट्रोलिंग करते हैं तो कहीं 53 डिग्री सेल्सियस तापमान में दुश्मनों से लोहा लेते हैं। ऐसे में उनका देसी रोबोट बॉर्डर पर पेट्रोलिंग के लिए कारगर साबित होगा। यह इजरायल के रोबोट गार्ड का अपग्रेड वर्जन है, यह रोप-वे से जुड़कर सेना के जवानों का काम आसान करेगा। छात्रों ने बताया कि यदि 50 हजार रूपए खर्च कर इसे बुलेट प्रूफ और आर्मर से लैस कर दिया जाए तो काफी हद तक कारगर साबित हो सकता है। जरुरत पड़ी तो जवानों को सतर्क करने के साथ दुश्मनों पर फायर भी झोंक सकता है।

3 कैमरों के साथ रोबोट में है 2-वे कम्युनिकेशन सिस्टम
छात्र अर्पित ने बताया रक्षक में तीन कैमरे लगे हैं। एक नाइट विजन, दूसरा थ्री डी और तीसरा नार्मल कैमरा है, जो अलग-अलग परिस्थितियों में बॉर्डर पर होने वाली हरकत को कैप्चर करेगा। इसमें टू वे कम्युनिकेशन सिस्टम लगा है। जिसके जरिए सेना के जवान अपने दुश्मन से बात भी कर सकते हैं। जवानों को एलर्ट करने के लिए अलार्म भी लगा है। जरूरत पड़ने पर रोबोट में फिट गन को वायरलेस ट्रिगर के जरिए कंट्रोल रूम से ऑपरेट कर फायर भी किया जा सकता है।
छात्रों ने कबाड़ से कर दिया कमाल
दूसरे छात्र प्रतीक कुमार सिंह ने बताया कि इस सिस्टम में मोबाइल का ट्रांसमीटर, चिप, खराब फोन का कैमरा इस्तेमाल किया गया है। दिव्यांशु सिंह ने बताया PM मोदी जब 2017 में इजरायल गए थे, तभी इसका आइडिया आया था।