Edited By Purnima Singh,Updated: 07 Jan, 2025 11:46 AM
शहर कोतवाली व एसओजी की संयुक्त टीम द्वारा सोमवार को बाग लखराव पुल के पास से प्रतियोगी परीक्षाओं के अंतर्राज्यीय साल्वर गैंग के सरगना आरोपी समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से एक कार, छह मोबाइल, एक कूटरचित आधार कार्ड, तीन एडमिट...
आजमगढ़ (शुभम सिंह) : आजमगढ़ के कोतवाली व एसओजी की संयुक्त टीम द्वारा सोमवार को बाग लखराव पुल के पास से प्रतियोगी परीक्षाओं के अंतर्राज्यीय साल्वर गैंग के सरगना आरोपी समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से एक कार, छह मोबाइल, एक कूटरचित आधार कार्ड, तीन एडमिट कार्ड व एक प्रश्न पुस्तिका बरामद हुआ है। वहीं, छह आरोपी अभी फरार हैं। फरार आरोपियों में चार बिहार और दो गाजीपुर के हैं।
अभ्यर्थियों के स्थान पर साल्वर बैठाकर दिलाते थे नौकरी
पुलिस अधीक्षक हेमराज मीणा ने बताया कि साल्वर गैंग के संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह के सदस्यों के साथ मिलकर पूर्व से ही फर्जी तरीके से प्रतियोगी परीक्षाओं में परीक्षार्थी के स्थान पर साल्वर को बैठाते थे। एसपी ने बताया कि पकड़े गए आरोपी गाजीपुर निवासी रामप्रवेश यादव ने बताया कि दुर्गेश तिवारी बिहार के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं में परीक्षार्थियों के स्थान पर बैठने के लिए साल्वर की व्यवस्था कराता है। इस कार्य में विक्की कुमार की सहायता से परीक्षार्थियों के आधार कार्ड में फोटो परिवर्तित कराकर साल्वर को बैठने के लिए भेजता है। 2021 से पहले सरकारी नौकरी दिलाने के लिए लोगों को फंसाता था और उनसे डील करके उनके स्थान पर साल्वर को बैठाकर परीक्षा दिलवाता था। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अभ्यर्थियों के स्थान पर साल्वर बैठाकर फर्जी तरीके से नौकरी दिलाने का कार्य सभी लोग मिल कर करते हैं।
एक पेपर दिलाने के लेते थे 10 लाख
एक पेपर दिलाने के लिए 10 लाख में करते थे डील आरोपी ने बताया कि प्रतियोगी परीक्षाओं में परीक्षार्थी के स्थान पर साल्वर को बैठाने के नाम पर लगभग 10 लाख रुपये में डील तय होती थी। इसमें से दो लाख रुपये परीक्षा देने से पहले और शेष परीक्षा देने के बाद लिए जाते थे। इस काम में दुर्गेश तिवारी मुख्य भूमिका अदा करता था। दुर्गेश तिवारी बिहार से साल्वर व फर्जी आधार कार्ड तैयार कराकर प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के लिए साल्वर की व्यवस्था करता है। राम प्रवेश ने बताया कि उत्तर प्रदेश में वह, सुनील कन्नौजिया, बबलू यादव, श्रवण कुमार यादव, सूर्यकांत कुशवाहा उर्फ पिंटू प्रतियोगी परीक्षाओं के कैंडिडेट तलाश करते थे। इसके बाद परीक्षार्थियों के साथ डील कर दुर्गेश तिवारी के साथ मिलकर साल्वर बैठाते थे।
6 आरोपी चल रहे फरार
एसपी हेमराज मीना ने बताया कि इस मामले में कुल छह लोगों नाम प्रकाश में आया है, जो अभी फरार चल रहे हैं. इनमें बिहार के दुर्गेश तिवारी, गाजीपुर के बब्लू यादव, श्रवण कुमार, सूर्यकांत कुशवाहा उर्फ पिंटू, बिहार के विक्की कुमार, अमित शामिल हैं. ये सभी दुर्गेश तिवारी व विक्की के साथ मिलकर साल्वर की व्यवस्था करते थे.
जानें कैसे हुआ गैंग का पर्दाफाश
जानकारी के मुताबिक, शिब्ली नेशनल डिग्री कालेज के केंद्राध्यक्ष प्रोफेसर अफसर अली ने तहरीर दी थी। बताया कि शिब्ली नेशनल कालेज परीक्षा केंद्र में यूपीसीसीएससीआर 2024-25 की परीक्षा संचालित की जा रही थी। इसमें चार जनवरी 2025 को प्रथम पाली की परीक्षा में कक्ष संख्या-103 में अनूप सागर शामिल हुआ। अभ्यर्थी का आधार वेरिफिकेशन प्रक्रिया में केवाईसी अपडेट न हो पाने के कारण डाटा का मिलान नहीं हो पा रहा था। संदेह के आधार पर जब पूछा गया तो पहले स्वीकार करने से मना कर दिया एवं स्वयं को अनूप सागर बताया। लेकिन जब परीक्षा केंद्र पर तैनात पुलिस बल ने सख्ती से पूछताछ की गई तो अपना सही नाम विकास कुमार निवासी बिहार बताया। अनूप सागर के स्थान पर फर्जी अभ्यर्थी बनकर परीक्षा में शामिल विकास कुमार ने बताया कि कुछ पैसों के बदले उसने यह काम किया है। पुलिस ने इसी के आधार पर पूरी कार्रवाई की।