दिव्यांग संतोष के हौसले को सलाम, बनाई पैरों से नहीं बल्कि हाथों से चलने वाली कार

Edited By Deepika Rajput,Updated: 03 Sep, 2019 05:38 PM

santosh made a car

देश में अलग-अलग प्रकार के लोग हमें प्रतिदिन देखने को मिलते हैं। कुछ स्वस्थ शरीर होने के बाद भी दूसरों पर निर्भर रहते हैं तो कुछ दिव्यांग होने के बावजूद मेहनत करना नहीं भूलते। आज हम आपको ऐसे ही एक शख्स दिव्यांग संतोष कुमार की कहानी बताने जा रहे हैं...

वाराणसीः देश में अलग-अलग प्रकार के लोग हमें प्रतिदिन देखने को मिलते हैं। कुछ स्वस्थ शरीर होने के बाद भी दूसरों पर निर्भर रहते हैं तो कुछ दिव्यांग होने के बावजूद मेहनत करना नहीं भूलते। आज हम आपको ऐसे ही एक शख्स दिव्यांग संतोष कुमार की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने अपने दम पर 12 दिनों की कड़ी मेहनत से ऐसी कार बना डाली जिसको पैरों से नहीं बल्कि हाथ से चलाया जाता है।

अपने पैरों से दिव्यांग संतोष ने बताया कि मैं थ्री वीलर मैकेनिक का काम करता हूं। मैंने कभी कार का काम नहीं किया था। मेरे मन में हमेशा यही बात घूमती थी कि दिव्यांगों के लिए कार बनानी है। जिसके चलते मैंने बस कबाड़ से कार खरीदकर एक्सीलेटर, क्लच और ब्रेक को हैंडल स्टेयरिंग के नीचे फिट कर दिया। ये तकनीकी रूप से बहुत ही टिपिकल काम था।

मुझे मिल गया है रोजगार
संतोष ने बताया 50 हजार कर्ज लेकर ब्रेकरी के लिए मशीन एक महीने पहले खरीदी थी। चंदापुर के लल्लू यादव, पांडेयपुर के राजन और गोदौलिया निवासी सोमनाथ ब्रेड, पेटीज, क्रीम रोल, केक बनाने का काम कर रहे हैं। मैं खुद कार से जाकर उनका बना सामान सेल करवा रहा हूं। मुझे रोजगार मिल गया है।

परिवार के लोगों ने छोड़ा साथ
उन्होंने बताया कि जब मैं बड़ा हुआ तो समाज और परिवार के लोगों ने मेरा साथ छोड़ दिया। किसी तरह इंटर पास किया, लेकिन आगे की पढ़ाई छूट गई। लोगों से सहयोग लेकर मैंने दिव्यांग बच्चों को गांव में ही पढ़ाना शुरू किया।

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