स्वामीनाथन के निधन पर राकेश टिकैत ने जताया दुख, बोले- 'उन्हें कृषि क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन के लिए सदा याद रखा जाएगा'

Edited By Pooja Gill,Updated: 28 Sep, 2023 04:17 PM

rakesh tikait expressed grief over

Noida News: भारत के महान कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का गुरुवार (28 सितंबर, 2023) को निधन हो गया। किसान नेता राकेश टिकैत ने उन्हें याद करते हुए कहा कि कृषि और किसानों की दशा में सकारात्मक परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा में उनकी...

Noida News: भारत के महान कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का गुरुवार (28 सितंबर, 2023) को निधन हो गया। किसान नेता राकेश टिकैत ने उन्हें याद करते हुए कहा कि कृषि और किसानों की दशा में सकारात्मक परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा में उनकी भूमिका के लिए देश सदैव उन्हें याद रखेगा।

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जानकारी के मुताबिक, स्वामीनाथन लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। आज तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में सुबह 11.20 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था। कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथ ने 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्हें भारत में हरित क्रांति के जनक के तौर पर जाना जाता है। बताया जा रहा है कि लंबी उम्र की वजह से आने वाली दिक्कतों के चलते उनका निधन हुआ।

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टिकैत ने जताया दुख
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताया। उन्होंने कहा, ‘‘मशहूर कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन के निधन की खबर से बहुत दुख हुआ।'' टिकैत ने कहा कि यह देश भारतीय कृषि और कृषकों की दशा में सकारात्मक परिवर्तन लाने और खाद्य सुरक्षा में उनकी भूमिका को सदैव याद रखेगा। आपके विचारों की यह लड़ाई हम सब मिलकर जारी रखेंगे। स्वामीनाथन वर्ष 1960 के दशक में भारत में हरित क्रांति के प्रेरक थे।

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डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के वैज्ञानिक थे स्वामीनाथन
बता दें कि स्वामीनाथन डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के वैज्ञानिक थे। उन्होंने 1972 से लेकर 1979 तक 'इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च' के अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया। कृषि क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से नवाजा था। स्वामीनाथन की गिनती भारत के महान कृषि वैज्ञानिकों के तौर पर होती है, जिन्होंने धान की ऐसी किस्म को तैयार किया, जिसने भारत के कम आय वाले किसानों को ज्यादा धान पैदा करने के काबिल बनाया। 

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