विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में सपा का हाथ : बृजलाल

Edited By PTI News Agency,Updated: 28 Nov, 2021 11:38 AM

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लखनऊ, 28 नवंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और उत्‍तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर आरोप लगाया कि 2005 में हुई भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्‍या में ‘‘सपा का हाथ था।’’

लखनऊ, 28 नवंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और उत्‍तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर आरोप लगाया कि 2005 में हुई भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्‍या में ‘‘सपा का हाथ था।’’
सांसद बृजलाल ने शनिवार को भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से कहा, ‘‘प्रदेश में अपराधों का रोना रोने वाले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव शायद भूल गए हैं कि 2012 से 2017 की शुरुआत तक उनके कार्यकाल में प्रदेश में किस तरह का गुंडाराज और माफिया राज था।''
उन्होंने कहा, ‘‘सपा का चुनाव निशान लाइट मशीन गन होना चाहिए था क्योंकि एके 47 से कृष्णानंद राय को 67 गोली मारी गई थी और इस कांड में सपा का हाथ था।''
गौरतलब है कि 29 नवंबर 2005 को गाजीपुर जिले में मोहम्मदाबाद क्षेत्र के तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की गोलियां मारकर हत्‍या कर दी गई थी। इस मामले में विधायक के परिजनों ने मऊ के विधायक मुख्तार अंसारी और मुन्‍ना बजरंगी समेत कई लोगों पर आरोप लगाया था।
भाजपा मुख्यालय से जारी बयान के अनुसार राज्‍यसभा सदस्‍य बृजलाल ने कहा, ''वह (अखिलेश यादव) यह भी भूल गए कि जिस संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ से मुलायम सिंह यादव और खुद अखिलेश संसद पहुंचे, वह किस तरह से आंतकवाद की फैक्ट्री में बदल गया था। और तो और वह यह भी भूल गए कि उन्होंने अपने घोषणा पत्र में न सिर्फ आंतकवादियों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने का वादा किया था, बल्कि सत्ता में आने के बाद मुकदमे वापस लेने की भरसक कोशिश भी की थी।''
पार्टी सांसद ने कहा कि अखिलेश के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती राज्य सरकार में उत्तर प्रदेश आतंकवाद और गुंडाराज का गढ़ बन गया था और आतंकवादी गुंडों और माफियाओं को उनके परिवार की पूरी शह मिली हुई थी। उन्होंने कहा, ‘‘यही अखिलेश यादव थे, जिनके मुख्यमंत्री रहते हुए प्रतापगढ़ में एक जांबाज पुलिस अधिकारी जियाउल हक की निर्मम हत्या कर दी गयी थी। यह अखिलेश यादव ही थे, जिनके कार्यकाल में जवाहर बाग में अवैध कब्जा हटाने गए दो पुलिस अधिकारी मुकुल द्विवेदी और संतोष यादव शहीद हुए थे।’’
उन्होंने कहा कि लोग कैसे भूल सकते हैं कि अखिलेश के नेतृत्व वाली सरकार ने कैसे दिल्ली के बाटला हाउस, अजमेर विस्फोट, लखनऊ में कचहरी में हुए बम धमाकों, वाराणसी में हुए श्रृंखलाबद्ध धमाकों में शामिल ‘‘इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने का प्रयास किया।’’
उन्होंने कहा कि अखिलेश की ही सरकार थी जिसमें मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बरेली, फैजाबाद और गाजियाबाद जैसे स्थानों पर 200 से भी ज्यादा बड़े दंगे हुए थे।



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