Mahakumbh 2025 के रंग में रंगा प्रयागराज...साधु-संतों का हुआ संगम, देखिए खूबसूरत तस्‍वीरें

Edited By Pooja Gill,Updated: 12 Jan, 2025 11:58 AM

prayagraj colored in the colors of mahakumbh 2025

Mahakumbh 2025: 13 जनवरी से महाकुंभ मेले का आगाज होने वाला है। इसमें करीब 40 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। मेले की तैयारियां अंतिम चरण पर है। महाकुम्भ का स्नान 13 जनवरी से शुरू हो रहा है और अगला स्नान पर्व 14 जनवरी को मकर संक्रांति...

Mahakumbh 2025: 13 जनवरी से महाकुंभ मेले का आगाज होने वाला है। इसमें करीब 40 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। मेले की तैयारियां अंतिम चरण पर है। महाकुम्भ का स्नान 13 जनवरी से शुरू हो रहा है और अगला स्नान पर्व 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर है। महाकुंभनगर धरती साधु-संतों और उनकी असीम ऊर्जा से आह्ललादित है। यहां से आने वाली साधु-संतों की तस्‍वीरें महाकुंभ को लेकर उनके उत्‍साह और भक्ति को लेकर समर्पण के बारे में बताती है।

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स्नान पर्व से पहले ही करीब 25 लाख लोगों ने लगाई डुबकी 
महाकुंभ के स्नान पर्व से पहले ही करीब 25 लाख लोगों ने गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगाई। घने कोहरे के बावजूद सुबह से ही श्रद्धालुओं का हुजूम मेला क्षेत्र की तरफ जाता दिखा।

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मेले में अखाड़ों का छावनी प्रवेश जारी 
बता दें कि महाकुम्भ मेले में अखाड़ों का छावनी प्रवेश जारी है। इसी क्रम में शनिवार को सिखों के निर्मल अखाड़े का भव्य छावनी प्रवेश हुआ, जिसमें हजारों संतों ने हिस्सा लिया। इससे पहले शैव, वैष्णव और उदासीन अखाड़े छावनी में प्रवेश कर चुके हैं। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल की छावनी प्रवेश यात्रा में वेद, वेदांग और गुरुवाणी तीनों का अद्भुत संगम देखने को मिला।

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लोगों ने अखाड़े का किया पुष्प वर्षा से भव्य स्वागत 
छावनी प्रवेश यात्रा में रथ, बग्घी और घोड़ों पर सवार साधु संतों का समूह कीडगंज स्थित अखाड़े के मुख्यालय से निकला। इस प्रवेश यात्रा में एक हजार से अधिक साधु संत शामिल हुए, जिसमें अधिकतर संत सिख समुदाय से आते हैं। संतों के पीछे-पीछे महिलाएं गुरुवाणी का पाठ और शबद कीर्तन करते हुए चल रहीं थी। छावनी प्रवेश में मां काली के रौद्र रूप को प्रदर्शित करने वाली झांकी भी कौतुहल का केंद्र रही। विभिन्न स्थानों पर इस छावनी प्रवेश यात्रा का स्थानीय लोगों और पुलिस प्रशासन के लोगों ने पुष्प वर्षा से भव्य स्वागत किया।

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जूना खड़ी के नागा विशिष्ट गिरी महाराज बने आकर्षण का केंद्र 
महाकुंभ नगर में 13 अखाड़े बस चुके हैं ऐसे में अखाड़े के साधु संत श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। इसी कड़ी में जूना अखाड़े के नागा विशिष्ट गिरी उर्फ रुद्राक्ष वाले बाबा आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। नागा विशिष्ट गिरी महाराज अपने शरीर में सवा लाख रुद्राक्ष के दानों को पहने हुए हैं। उनकी वेशभूषा भगवान शिव की तरह है सिर पर रुद्राक्ष से सजा मुकुट हाथों में डमरु।

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नागा विशिष्ट गिरी महाराज का कहना है कि वह 2010 में नागा बन चुके थे और जन कल्याण, देश में शांति को लेकर उन्होंने सवा लाख रुद्राक्ष को पहना हुआ है।

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महाकुंभ के कलाग्राम में प्रदर्शित होगी गंगा अवतरण और कुंभ की कहानी 
भारतीय लोक कला, संस्कृति और परंपराओं को जीवंत मंच प्रदान करने के लिए केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने महाकुम्भ के नागवासुकी क्षेत्र में कलाग्राम की स्थापना की है जिसका उद्घाटन रविवार को केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद साराभाई ने यह जानकारी देते हुए बताया कि नागवासुकी क्षेत्र में भारद्वाज रोड पर 10 एकड़ से अधिक क्षेत्र में 12 ज्योतिर्लिंगों के आकार में अनोखा कलाग्राम तैयार किया गया है। 

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