''मंदिर निर्माण पर अध्यादेश और तीन तलाक पर कानून बना तो देंगे अदालत में चुनौती''

Edited By Ruby,Updated: 17 Dec, 2018 10:50 AM

ordinance on construction of temple challenged court

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माणा की मांग के दौरान एक बार फिर स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह बाबरी मस्जिद के मामले में सिर्फ उच्चतम न्यायालय के निर्णय को ही मानेंगे।  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में...

लखनऊः  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित दारुल उलूम नदवातुल उलिमा में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की रविवार को कार्यकारिणि की बैठक मौलाना राबेहसनि नदवी की अध्यक्षता में हुई । बैठक में बोर्ड ने अयोध्या और तीन तलाक समेत कई अहम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। इस बैठक में बोर्ड ने कहा कि सरकार द्वारा अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाए जाने और तीन तलाक पर संसद में कानून बनाए जाने की स्थिति में वह उन्हें अदालत में चुनौती देगा। बोर्ड ने सरकार से आग्रह किया कि वह मंदिर के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे कुछ हिन्दूवादी संगठनों के भड़काऊ बयानों पर रोक लगाए और और उच्चतम न्यायालय उनका संज्ञान ले।

बोर्ड की कार्यकारिणी समिति की हुई बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य कासिम रसूल इलियास ने बताया कि केंद्र सरकार तीन तलाक पर अध्यादेश लाई है। इसकी मियाद छह महीने होगी। अगर यह गुजर गई तो कोई बात नहीं लेकिन अगर इसे कानून की शक्ल दी गई, तो बोर्ड इसको उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगा। उन्होंने कहा कि यह अध्यादेश मुस्लिम समाज से सलाह-मशवरा किए बगैर तैयार किया गया है और अगर सरकार इसे संसद में विधेयक के तौर पर पेश करेगी तो बोर्ड की समिति सभी धर्मनिरपेक्ष दलों से गुजारिश करेगी कि वे इसे पारित ना होने दें। इलियास ने बताया कि बोर्ड का स्पष्ट रुख है कि वह बाबरी मस्जिद मामले में अदालत के अंतिम फैसले को स्वीकार करेगा। बैठक में यह भी राय बनी कि सरकार मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश या कानून लाने की मांग के साथ दिए जा रहे जहरीले बयानों पर रोक लगाए और उच्चतम न्यायालय भी इसका संज्ञान ले।  

बोर्ड के सचिव जफरयाब जीलानी ने इस मौके पर कहा कि अयोध्या के विवादित स्थल पर यथास्थिति बरकरार रहने की स्थिति में कानूनी तौर पर कोई अध्यादेश नहीं लाया जा सकता। यही वजह है कि सरकार ने यह रुख दिखाया है कि वह अध्यादेश नहीं लाएगी। अगर कोई अध्यादेश आता भी है तो वह कानूनन सही नहीं होगा और बोर्ड उसको चुनौती देगा।  इस सवाल पर कि बोर्ड मंदिर बनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद तथा अन्य कुछ संगठनों द्वारा विभिन्न आयोजन करके सरकार पर दबाव बनाए जाने की आड़ में दिए जा रहे भड़काऊ बयानों की शिकायत उच्चतम न्यायालय से क्यों नहीं करता, जीलानी ने कहा कि यह हमारे लिये मुनासिब नहीं है। हमारा मानना है कि जो लोग इस तरह के बयान दे रहे हैं उनके खिलाफ सरकार कार्रवाई करे और उच्चतम न्यायालय भी इसका संज्ञान ले। उसके लिए उपाय सोचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय कह चुका है कि राम जन्मभूमि आंदोलन किसी पार्टी का कार्यक्रम हो सकता है, किसी सरकार का नहीं, क्योंकि हुकूमत धर्मनिरपेक्षता से आबद्ध है।      

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