मदरसों के सर्वे को लेकर उठे विरोधी सुर! AIMPLB ने कहा- हिन्दू-मुसलमानों भाइयों में दूरी पैदा करने की साजिश

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 12 Sep, 2022 12:41 PM

opposing voices raised about the service of madrassas

लखनऊः योगी सरकार ने प्रदेश के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। उनके द्वारा दिए गए इस आदेश का मुस्लिम संगठन और सियासी दल विरोध कर रहे हैं....

लखनऊः योगी सरकार ने प्रदेश के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। उनके द्वारा दिए गए इस आदेश का मुस्लिम संगठन और सियासी दल विरोध कर रहे हैं। इसी कड़ी में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा हिंदू और मुसलमानों के बीच दूरी पैदा करने की नापाक कोशिश है।

बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव हज़रत मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी ने एक प्रेस नोट जारी किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा धार्मिक मदरसों का सर्वेक्षण करवाने का फैसला वास्तव में हमवतनी भाइयों के बीच दूरी पैदा करने की घिनौनी और नापाक साज़िश है। उन्होंने आगे कहा कि धार्मिक मदरसों का एक उज्ज्वल इतिहास रहा है। इन मदरसों में पढ़ने और पढ़ाने वालों के लिए चरित्र-निर्माण और नैतिक प्रशिक्षण का आयोजन चौबीसों घंटे किया जाता है। कभी इन मदरसे में पढ़ने और पढ़ाने वालों ने आतंकवाद और साम्प्रदायिक घृणा पर आधारित कोई कार्य नहीं किया। हालांकि कई बार सरकार ने इस प्रकार के आरोप लगाए; चूंकि ये झूठे आरोप थे इसलिए इसका कोई सुबूत नहीं मिला।

रहमानी ने कहा कि सत्ताधारी दल के पुराने और प्रभावशाली नेता लालकृष्ण आडवाणी जब देश के गृहमंत्री थे, तो उन्होंने भी यह स्वीकार किया था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, एपीजे अब्दुल कलाम और मौलाना आज़ाद जैसे देश के कद्दावर नेतृत्व ने मदरसों की सेवाओं को स्वीकार किया ह। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मदरसों से निकले विद्वानों (उलेमाओं) ने असाधारण बलिदान दिया है और स्वतंत्रता के बाद भी ये संस्थान देश के सबसे गरीब वर्गों को शिक्षा प्रदान करने में प्रमुख भूमिका निभा रहे है।

इसलिए बोर्ड सरकार से अपने इस इरादे से दूर रहने का अनुरोध करता है और यदि किसी भी वैध आवश्यकता के तहत सर्वेक्षण किया जाता है तो इसे केवल मदरसों या मुस्लिम संस्थानों तक सीमित न रखा जाए, बल्कि देश के सभी धार्मिक और गैर-धार्मिक संस्थानों का एक निश्चित सिद्धांत के तहत सर्वेक्षण किया जाए। इसमें सरकारी संस्थानों को भी शामिल किया जाए, कि सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों के बुनियादी ढांचे के संबंध में जो नियम निर्धारित किए हैं सरकारी संस्थान स्वयं इसे किस हद तक पूरा कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि केवल धार्मिक मदरसों का सर्वेक्षण मुसलमानों की रुस्वा करने का कुप्रयास है और बिल्कुल अस्वीकार्य है और मिल्लत-ए-इस्लामिया इसे ख़ारिज करती है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!